शिमला : पर्यटन उद्योग को कोई आर्थिक मदत न मिलने के कारण जून के महीने में 90% से भी अधिक बैंकों द्वारा लिए गए ऋणों का NPA (नॉन परफार्मिंग एसेट) होना लगभग तह है। इस वर्ष दुबारा से कोविड की दूसरी लहर के चलते 31 मई को पर्यटन कारोबार को ठप हुए तीन महीने हो जायेंगे इसी वजह से पर्यटन कारोबारी तीन महीने से बैंको की किश्तें तथा ब्याज नही दे पाए। (ADVT5)
बैंक 90 दिन तक मासिक किश्त तथा ब्याज न देने की सूरत में ऋणों को NPA (नॉन परफार्मिंग एसेट) कर देते है जिसका सीधा असर सिबिल स्कोर पर पड़ता है तथा भविष्य में बैंकों द्वारा NPA(नॉन परफार्मिंग एसेट) एकाउंट्स होल्डरत को लोन नही दिया जाता। हर व्यपारी की क्रेडिटिबिलिटी सिबिल स्कोर पर ही निर्भर होती है। पिछले वर्ष से महामारीं की मार झेल रहे होटल तथा अन्य पर्यटन से जुड़े कारोबारियोंके पास वर्किंग कैपिटल शुन्य हो गया है । सभी पर्यटन से जुड़े कारोबारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। (ADVT2)
अगर प्रदेश सरकार द्वारा मदत की बात की जाए तो पिछले वर्ष सरकार द्वारा वर्किंग कैपिटल लोन इंटरेस्ट सुबवेंशन स्कीम लाई गई थी परन्तु उसका लाभ किसी भी पर्यटन कसरोबरी को नही मिला क्यूंकि उस प्रदेश की स्कीम के तहत बैंकों ने ऋण देने से इनकार कर दिया था। यही कारण है कि पिछले वर्ष मार्च से लेकर पूरा एक वर्ष तक होटल तथा अन्य पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को अपनी इकाइयाँ संचालित रखने व ख़र्चों को पूरा करने के लिए नए ऋण लेने पड़े । जो भी उनके पास बची हुई सिक्योरिटी थी उसको गिरवी रख बैंको से ऋण लेकर तथा अपनी जो भी जमा पूंजी थी उसके सहारे एक वर्ष किसी तरह भी निकाल लिया। इस वर्ष दुबारा से पर्यटन सीजन के शुरू होने से पहले ही कोविड कि दूसरी लहर ने पर्यटन सीजन को निगल लिया। (ADVT3)
इस वर्ष दुबारा से सरकार द्वारा वर्किंग कैपिटल लोन इंटरेस्ट सुबवेंशन स्कीम मे उचित बदलाव के लिए पर्यटन विभाग ने सभी पर्यटन से जुड़ी एसोसिएशनों से सुजाव लिए तथा 19 अप्रैल को निर्देशक पर्यटन की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की गई। परन्तु मई का महीना भि पूरा निकल गया इस स्कीम को कैबीनेट में मंजूरी के लिए पेश तक नही किया गया ।
हमारी एसोसिएशन के ट्रेवल चैप्टर के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट अनिल भारद्वाज ने बताया कि ट्रेवल एजेंट्स ने अपना काम सचारु रूप से चलाने के लिए टैक्सियाँ तथा बसें बैंको से फाइनेंस करवा रखी हैं। परंतु बिना आमदन के ट्रेवल एजेंट्स न तो व्यज दे पा रहे है और न ही किस्तें भर पा रहें है ।इसके अलावा चालको व अन्य कर्मचारियों का वेतन , आफिस व दुकानों का किराया , परमिट फीस तथा अन्य टैक्स इत्यादि देने में भी वह असमर्थ है। बैंकों द्वारा उनकी टैक्सियों तथा बसों को नीलाम करने का भी डर उन्हें सत्ता रहा है।यही हाल रेस्टॉरेंटों , अम्यूजमेंट पार्क्स, रोपवेज़, वाटर स्पोर्टस तथा एडवेंचर स्पोर्ट्स से जुड़े व्यवसाइयों का है। पर्यटन से जुड़े सेल्फ एम्प्लाइज जैसे घोड़े वाले टैक्सी वाले, फोटोग्राफर्स टूरिस्ट गाइड्स इत्यादि को तो अपने घर का खर्च चला पाना भी मुश्किल हो गया है। इस हालत में पर्यटन से जुड़े व्यवसायी डिप्रेशन में है।सरकार द्वारा टैक्स तथा अन्य शुल्कों के बिल लगातार जारी किये जा रहे है जिसका भुगतान कर पाना व्यसाईओं के बस में नही है। (ADVT1)
हम सरकार से आग्रह करते है कि पर्यटन उधोग को राज्य तथा केन्द्र स्तर पर तुरंत आर्थिक मदत की जाए तथा हर प्रकार के टैक्सों , फीसों को रियायती दरों पर उपलब्ध करवाए जाएँ ताकि डूबते हुए पर्यटन उधोग को सहारा मिल सके। हम यह भी आग्रह करते है कि प्रदेश सरकार केन्द्रीय वित्त मंत्रालय तथा रिज़र्व बैंक से अपने स्तर पर बात कर आग्रह करे कि 3 महीने से ठप पड़ी पर्यटन इकाइयों के द्वारा लिए हुए ऋणों को बैंक NPA घोषित न करे , सिबिल स्कोर पर इसका असर न पड़े तथा जो भी केन्द्र द्वार एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी के तहत स्कीम लायी जाए उसका मानक मौजूदा ऋण की राशि 31 मार्च 2021 रखा जाए । हम माननीय मुख्यमंत्री जी से यह भी आग्रह करते है कि जून के महीने से मौजूदा आवशक नेगेटिव RTPCR रिपोर्ट की बंदिश को हटाया जाए क्यूंकि ICMR ने भी इस टेस्ट को न करवाने की वकालत की है। (ADVT5)
इसी प्रकार अन्य बन्दिशों को भी हटाया जाए क्यूंकि होटेल तथा अन्य सभी पर्यटन से जुड़ी इकाइयाँ SOP का विशेष ध्यान रखती है। जिसका प्रमाण है कि जब 6 महीने के लिए पर्यटन गतिविधियाँ पूरी तरह से खुली थी तो एक भी कोविड का केस पर्यटको के कारण नही आया। जून के महीने में भी पर्यटन सीजन पूरी चरम पर होता है यदि जून में भी पर्यटकों को आने दिया जाए तो व्यवसाइयों को कुछ न कुछ राहत मिलेगी तथा ख़र्च निकालने में मदत मिल सकेगी। पर्यटन उधोग सबसे ज्यादा एम्प्लॉयमेंट देता है यदि इस सेक्टर को मदत न कि गई तो हजारों कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। (ADVT4)