केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह बिल्डरों के चुंगल में फंसे 'घर खरीदारों' (होम बायर्स) के हितों की रक्षा के लिए यूनिफार्म प्रस्ताव लाने के काम पर लगी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जेपी इंफ्राटेक के 21 हजार से अधिक होम बायर्स की परेशानी सुलाझने का प्रयास नहीं किया गया तो उसे संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत उसे होम बायर्स के हितों की रक्षा करने की असीम शक्ति है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ को यह जानकारी दी गई कि नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय पंचाट(एनसीएलएटी) के समक्ष जेपी से संबंधित मामले की सुनवाई 17 जुलाई को प्रस्तावित है। जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए टाल दी। मालूम हो कि एनसीएलएटी के समक्ष दिवालियापन की कार्रवाई चल रही है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवन ने पीठ से कहा कि एनसीएलएटी में 17 जुलाई को सुनवाई होनी है, ऐसे में हमें एनसीएलएटी के निर्णय का इंतजार करना चाहिए।
माधवी दीवान ने यह भी बताया कि होम बायर्स की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार यूनिफार्म प्रस्ताव लाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को 23 जुलाई को यूनिटेक होम बायर्स मामले पर होने वाली सुनवाई में पेश किया जाएगा।
वहीं होम बायर्स की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने कहा कि उन्हें यह अंदेशा है कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड को दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा। ऐसा होने पर उन्हें बहुत परेशानी होगी। इस पर पीठ ने कहा कि अगर एनसीएलएटी द्वारा ऐसा किया जाता है तो होम बायर्स की रक्षा केलिए सुप्रीम कोर्ट के पास अनुच्छेद-142 केतहत असीम शक्ति है।