शिमला: मंगलवार रात 12:00 बजे से पूरे देश में कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन शुरू हो गया है। इस महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। लेकिन क्या भारत सरकार ने उन लोगों के लिए कोई प्रबंध किया जो प्रतिदिन मेहनत मजदूरी करके कमाते हैं फिर परिवार के साथ शाम को 2 रोटी खाते हैं ? वह कैसे 21 दिन तक जीवित रहेंगे ? वह इस महामारी से बच जाएंगे तो भुखमरी से कैसे बचेंगे ?
अधिंकाश लोगों का कहना है कि कोरोना का कहर पूरे विश्व पर मंडरा रहा है। इसके कहर से विश्व के वो देश भी अछूते नही रहे जो हमारे से कई सौ साल आगे है। जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहली और दूसरी पायदान पर है। जबकि स्वास्थ के क्षेत्र में हमारा देश 112 वीं पायदान पर है।
आम लोगों का कहना कि प्रधानमंत्री ने जो भी फैसले लिए अधिकांश देशहित से जुड़े हुए है। लेकिन कुछ निर्णय ऐसे है जो देश हित मे तो है पर बिना तैयारी के लिए गए है। पहले नोटबन्दी के निर्णय ने देश की आर्थिक हालत पतली कर दी। और दूसरे कोरोना के बचाव के 21 दिन की लॉक डाउन के निर्णय से पूर्व गरीबों के भरण पोषण का प्रबंध किए बगैर लॉक डाउन की 3 सप्ताह की घोषणा करके प्रतिदिन कमा कर खाने वाले गरीबों की कमर तोड़ दी है। ये लोग ये सोच कर ही अधमरे हो रहे है कि वे 21 दिन तक बिना कमाए खाएंगे क्या?
लोगों का कहना है कि लॉक डाउन करने से पूर्व प्रधानमंत्री को दिल्ली की तर्ज पर गरीब मजदूरों को प्रतिमाह आर्थिक पैकज की घोषणा कर देनी चाहिए थी। ताकि गरीब मजदूर का मनोबल गिरता नही बल्कि मजबूत होता। लोगो का कहना है कि प्रधानमंत्री को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दे देने चाहिए कि वे शीघ्र ही अपने अपने प्रदेशों के गरीब मजदूर लोगों को आर्थिक सहायता का पैकेज दिल्ली सरकार की तर्ज पर कर दें ताकि मजदूरों को भरण पोषण की चिंता खत्म हो जाये तथा उनका मनोबल मजबूत हो जाए। बता दें जिस व्यक्ति का मनोबल कमजोर होता है उसे छतीस बीमारियां जकड़ लेती है।
हां दिल्ली में तो अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों के लिए प्रति माह 5000 रुपये की घोषणा की है, यह अलग बात है कि किसी भी न्यूज़ चैनल ने उस खबर का प्रसारण नही किया।क्योंकि ऐसा करके वे दिल्ली के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री की तुलना नही करना चाहते है कि प्रधानमंत्री को गरीब मजबूर- मजदूर की कोई चिंता नहीं है...।
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद एक एडवाइजरी जारी की गई है इसके मुताबिक उन्होंने जिला प्रशासन को सलाह दी है कि राशन, किराने, फल और सब्जियों, डेयरी उत्पादों और पशु चारे आदि इस तरह की सभी दुकानों से घरों तक होम डिलीवरी को बढ़ावा दें। लेकिन सवाल वही है कि गरीब दिहाड़ीदार को कौन बिना पैसे होम डिलीवरी देगा जो दिन को कमाता है और दिन भर की कमाई से अपना और बच्चों का पेट भरता है।
गौरतलब है कि विश्व भर में इस महामारी से हर कोई ख़ौफ़ज़दा है। सवाल यह उठता है कि देश मे इतने दिनों के लॉक डाउन के दौरान गरीब मजदूर भुखमरी से बचेगा कैसे ? बता दें कि इस महामारी से पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए देश की राज्य सरकारों की तुरन्त गरीब मजदूर लोगों के भरणपोषण के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की शीघ्र अतिशीघ्र घोषणा कर देनी चाहिए ताकि गरीब मजदूर की दो वख्त की रोटी की चिंता खत्म हो सके। देश की जनता के हित में सरकार का हर फैसला सर्वमान्य है सबको कोरोना से उतपन्न आपदा की इस घड़ी में सरकार का सहयोग देना चाहिए। आप सभी से भी अपील है कि आप अपने चहुं ओर अगर कोई गरीब लाचार दिखे तो उसकी इन 21 दोनों तक हर तरह से सहायता जरूर करें। "जान है तो जहान है" इसलिए सरकार के हर दिशा निर्देश का पालन करें ताकि देश इस जानलेवा बीमारी की चपेट में न आ सके।