कोरोना वायरस के चलते 1 महीने तक का किराया नही ले सकते मकान मालिक, केंद्र सरकार ने दिए निर्देश, पढ़ें पूरी खबर-
कोरोना वायरस : विश्व भर में कोरोना वायरस का कहर दिन प्रतिदिन कम होने कर बजाए बढ़ता जा रहा है जिसके चलते पूरा विश्व खौफजदा है। भारत मे भी केंद्र सरकार ने बचाव तौर पर 21 दिन के लॉकडाउन की घोषना की हुई है। देश में जारी कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार आए दिन गरीब मजदूरों के लिए कोई न कोई राहत देने के निर्देश जारी हो रहे है। अब केंद्र सरकार ने सभी मकान मालिकों को अगले एक महीने तक कामगारों से किराया नहीं लेने के निर्देश दिए हैं।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद रोज कमाने-खाने वाले कामगार अपने घर को लौटने लगे हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों को यह भी निर्देश भी दिया है कि वह उन्हें भोजन और रहने के जगह की व्यवस्था करे। राज्यों को तीन सप्ताह के लॉकडाउन को लागू करने के साथ ही केंद्र सरकार ने रविवार को ये भी कहा कि जो कामगार अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गए हैं, उन्हें उनके गांव के पास ही कम से कम 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखकर निगरानी की जाए।
इसके साथ ही सभी राज्यों को इस बात का भी निर्देश दिया गया है कि मजदूरों को उनकी मेहनत का पैसा समय से मिलता रहे और इसमें कोई कटौती नहीं होने पाए। किसी भी मजदूर इस समय घर का किराया न मांगा जाए। जो लोग छात्रों और मजदूरों से कमरा या घर खाली करने के लिए कहते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी आदेश में कहा गया है कि नियोक्ता बिना किसी कटौती के नियत तारीखों पर अपने श्रमिकों के वेतन का भुगतान करेंगे।
आदेश में कहा गया कि मकान मालिक गरीब मजदूरों और प्रवासी कामगारों से एक एक महीने किराया नहीं मांगेंगे। जो मकान मालिक इसकी अवहेलना करता है और इनलोगों को घर से जाने के लिए कहता है उन्हें कार्रवाई का सामना करना पडे़गा। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कामगारों से मकान मालिक घर खाली करने को न कहें।
गौरतलब है कि देश मे 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान होते ही बड़ी संख्या में कामगार, मजदूर अपने घरों की ओर पलायन करने लगे हैं। हालांकि सरकार की ओर से बार-बार अपील की जा रही है कि उनके लिए पूरा इंतजाम किया जाएगा।
लेकिन मजदूरों का कहना है कि भले ही सरकार बार बार कामगारों को जहां है वहीं बने रहने के लिए बड़े बड़े एलान किये जा रहे है परन्तुं अधिकतर राज्य सरकारें उनका कुशलक्षेम नही जान रही है। अधिकतर राज्यों में गरीब मजदूर पानी पी-पी कर जिंदा रहने के लिए मजबूर हो गए है इसलिए कामगारों कहना है एक अगर उन्हें भूखा ही मरना है तो क्यों न वे अपने घर जा अपने परिवार पास जा कर आख़री सांस ले।