"कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा"
कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला को क्रिकेट का अनुभव बिना कप्तान की बिखरी टीम को एक सूत्र में पिरोने में आ सकता है काम... इस बार 11 नहीं 68 विधानसभा सीटों की पिच पर नेताओं में तालमेल बनाना होगी चुनौती... बिखरी टीम का कौन होगा कप्तान ? पढ़े विस्तार से -
साभार : पाल की चौपाल
शिमला : 'कहीं की ईंट, कहीं की रोड़ा, भानुमति ने कुनबा रोड़ा ( गुटों में बंटे नेताओं में ताल बैठाना) यह कहावत प्रदेश में गुटों में बंटी कांग्रेस पर सटीक बैठती है। कांग्रेस के नवनियुक्त हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला के लिए प्रदेश में कांग्रेस के बिखरे कुनबे का एक सूत्र में पिरोना एक चुनौती है। आई.पी.एल. में लम्बे समय तक चेयरमैन व बी.सी.सी.आई. के लम्बे अनुभव देखते हुए इतना तय है कि वे प्रदेश में अपनी नई टीम बनाएंगे। पूर्व प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल की बनाई गई टीम से 2022 में वर्ल्ड कप (विधानसभा चुनाव) जीतने की उम्मीद कम है।
इससे कांग्रेस में संगठन में भारी फेरबदल की अटकले शुरू हो गई है। यहां तक की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर को बदलने की अटकलें पार्टी में लम्बे समय से चली हुई है लेकिन अब इन अटकलों को बल मिल सकता है। प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता उनके नेतृत्व में अपने अपने आप को अहसज महसूस कर रहे है। यही कारण है कि समय - समय पर कांग्रेसी नेताओं की गुप्त बैठके हो रही है।
कांग्रेस को ऐसे नेता की बड़ी कमी महसूस हो रही है जोन विधानसभा चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र के अलावा 67 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर सके। वर्ष 1985 से लेकर 2017 तक पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पार्टी को यह कमी कभी महसूस ही नहीं होने दी। वे तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में केवल नामांकन पत्र भरने जाते थे और अन्य 67 निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार में लग रहते थे। वर्तमान में स्वास्थ्य कारणों से उनकी राजनैतिक सक्रियता कम हुई है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर को चुनाव लड़ने व चुनाव जीतने का अनुभव नहीं है। प्रदेश में कांग्रेस के अन्य दिग्गज नेता विधानसभा चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर, प्रदेश तो दूर साथ लगते निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी के प्रचार के लिए समय निकालने का साहस नहीं जुटा पाते है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला को जल्द ही प्रदेश में अपनी टीम का कप्तान घोषित करना होगा ताकि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र क्षेत्र के साथ - साथ प्रदेश में अपने को मजबूत करने का मौका मिल सके।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए ढाई वर्ष से भी कम का समय रहा है। भाजपा के पास वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक बड़ा चेहरा है। विस चुनाव में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व केन्द्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर का साथ मिलेगा।
वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर के पक्ष में यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का समर्थन प्राप्त है। वीरभद्र खेमे पर उनकी निर्भरता के कारण कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता उनसे दूरी बनाए हुए है।यही कारण है कि पार्टी में उनके विरोधी अपनी योजनाओं में कामयाब नहीं हुए है। चर्चा है कि कांग्रेस के पांच वरिष्ठ ल विधायक प्रदेश नेतृत्व को बदलने की रणनीति बनाने के लिए कई बैठके कर चुके है लेकिन किसी एक के नाम पर उनमें अभी सहमति नही बनी है।
कांग्रेस में तो वर्तमान में एक नहीं बल्कि एक दर्जन नेता मुख्यमंत्री की रेस में है। हालांकि कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि विपक्षी दल की भूमिका में कांग्रेस लोगों का विश्वास जीतने में ज्यादा कामयाब नहीं हुई है।
इन नेताओं को भी मिल सकती है कांग्रेस की कमान :
जिला चम्बा में पंजाब की पूर्व प्रभारी आशा कुमारी सबसे बड़ी नेता है। पंजाब प्रभारी पद से हटाने के बाद उनकी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा तेज हो गई है। कयास लगाए जा रहे उन्हें प्रदेश में बड़ी जिम्मेवारी मिल सकती है।प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में पूर्व मंत्री जी.एस.बाली व सुधीर शर्मा में वर्चस्व की जंग चली हुई है। इसका पार्टी का पिछले विस चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ा है। दोनों नेताओं के साथ - साथ पार्टी के अन्य बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा।
जिला हमीरपुर में पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह सुक्खु कांग्रेस के बड़े नेता है। पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हराकर सुजानपुर के विधायक राजेन्द्र राणा बड़े नेता बनकर उभरे है।
जिला ऊना में प्रतिपक्ष के नेता व हरोली से लगातार चुनाव जीत रहे मुकेश अग्निहोत्री प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए है। जिला बिलासपुर से पूर्व मंत्री व श्री नयना देवी के विधायक रामलाल ठाकुर की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने की लगतार चर्चा हुई है।
जिला मंडी से पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बढ़ती सक्रियता ने कई नेताओं की नींद उड़ाई हुई है। कुछ समय पर पूर्व उनके घर में हुई कांग्रेस नेताओ के साथ बैठक ने तो पार्टी में खलबली मचा दी थी।
जिला सोलन से कर्नल धनीराम शांडिल की वरिष्ठता का नजरअंदाज नहीं किया सकता है। जिला सोलन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ नेता है। यही नहीं सी.डब्ल्यू.सी. के भी मैम्बर रहे है। जिला शिमला में कांग्रेस का बड़े नेता की कमी महसूस होने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अब जिला सोलन के अर्की से चुनाव लड़ रहे है जबकि पूर्व मंत्री विद्या स्टोक्स सक्रिय राजनीति से दूर हो गई है। पहली बार विधायक बने विक्रमादित्य सिंह को अभी लम्बा रास्ता तय करना है। काँग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर को पहला विस् चुनाव लड़ना ही बड़ी चुनौती है।
जिला सिरमौर में शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान व पूर्व मंत्री गंगूराम मुसाफिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार है। गंगूराम मुसाफिर के लगातार चुनाव हारने से पार्टी में उनकी पकड़ थोड़ी कमजोर हुई है। इनके अलावा भी कांग्रेस में कई अन्य दिग्गज नेता है जो बड़ी जिम्मेवारी का संभालने की काबिलयत रखते हो।
अब यह देखना दिलचस्प हो गया है कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला वर्ष 2022 में होने वाले विस चुनाव में इसी टीम के साथ जाएंगे या फिर नई टीम व नए कप्तान के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह देखना दिलचस्प हो गया है।