शिमला: नागरिक सभा ने नगर निगम शिमला से मार्च से अगस्त 2020 तक के कूड़े व पानी के बिलों को पूरी तरह माफ करने की मांग की है। नगर निगम शिमला जनता पर हजारों रुपये के भारी बिलों को जमा करने के लिए अनचाहा दबाव बना रहा है जिसे कतई मंज़ूर नहीं किया जाएगा। उन्होंने जनता से इन बिलों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।
नागरिक सभा शिमला के अध्यक्ष विजेन्दर मेहरा ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शिमला शहर के सत्तर प्रतिशत लोगों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से चला गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला ने कोरोना काल में आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुई जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी है। शिमला शहर में होटल व रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया है। इसके कारण इस उद्योग में सीधे रूप से कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गयी है। पर्यटन का कार्य बिल्कुल खत्म हो गया है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम से जनता को आर्थिक मदद की जरूरत व उम्मीद थी परन्तु इन्होंने जनता से किनारा कर लिया है। जनता को कूड़े के हज़ारों रुपये के बिल थमा दिए गए हैं। हर माह जारी होने वाले बिलों को पांच महीने बाद जारी किया गया है।उपभोक्ताओं को कूड़े व पानी के बिल हज़ारों में थमाए गए हैं जिस से घरेलू लोग तो हताहत हुए ही हैं परन्तु कारोबारियों, व्यापारियों, पीजी संचालकों आदि पर पहाड़ जैसा बोझ लाद दिया गया है। शैक्षणिक संस्थानों के बन्द होने के कारण छात्र व अभिभावक ग्रामीण क्षेत्रों को कूच कर चुके हैं व उनके क्वार्टरों पर ताले लटके हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जब क़वार्टर ही बन्द हैं व उपभोक्ताओं ने इन सुविधाओं को ग्रहण ही नहीं किया है तो फिर कूड़े व पानी के बिलों को जारी करने का क्या तुक बनता है। इन हज़ारों रुपये के बिलों का भुगतान करने के लिए भवन मालिकों पर बेवजह दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक निगम व सरकार जनता के कूड़े व बिजली की दरों में कमी नही करती तब तक इनके संघर्ष जारी रहेगा।