हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए गुरुवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए । गुरुवार का पंचांग
बृहस्पतिवार, 15 अक्तूबर, 2020
विष्णु रूपं पूजन मंत्र :
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है।
पंचांग: राष्ट्रीय मिति अश्विन 23 शक सम्वत 1942 आश्विन कृष्ण त्रयोदशी बृहस्पतिवार विक्रम संम्वत 2077 । सौर आश्विन मास प्रविष्टे 30 सफर 27 हिजरी 1542 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 15 अक्टूबर सन् 2020 ई॰ ।
सूर्य दक्षिणायन, दक्षिणगोल, शरद् ऋतु । राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। त्रयोदशी तिथि प्रातः 08 बजकर 34 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का आरंभ, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रात्रि 08 बजकर 41 मिनट तक उपरांत हस्त नक्षत्र का आरंभ।
ब्रह्म योग पूर्वाह्न 10 बजकर 19 मिनट तक उपरांत ऐन्द्र योग का आरंभ, वणिज करण प्रातः 08 बजकर 34 मिनट तक उपरांत चतुष्पद करण का आरंभ। चंद्रमा दिन-रात कन्या राशि पर संचार करेगा।
सूर्योदय का समय 15 अक्टूबर : सुबह 06 बजकर 22 मिनट पर।
सूर्यास्त का समय 15 अक्टूबर : शाम 05 बजकर 51 मिनट पर।
आज का शुभ मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से दोपहर 02 बजकर 47 मिनट तक। निशीथ काल रात 11 बजकर 42 मिनट से 16 अक्टूबर रात 12 बजकर 32 मिनट तक। अमृत काल सुबह 11 बजकर 35 मिनट से 01 बजे तक।
आज का अशुभ मुहूर्त : राहुकाल दोपहर 01 बजकर 30 से 03 बजे तक। यमगंड सुबह 06 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 48 मिनट तक। गुलिक काल सुबह 09 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक।
आज का उपाय : लक्ष्मीपति श्रीहरि की उपासना करें। निराश्रितजनों को जरूरी वस्तुओं का दान करें।
दिशाशूल - बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।