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पंचांग

शनिवार का पंचांग : पढ़ें 24 अक्टूबर 2020 का पंचांग, आज है दुर्गा अष्टमी और महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, राहुकाल एवं दिशाशूल

October 24, 2020 06:29 AM

हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

जानिए आज का पंचांग

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना , पढ़ना चाहिए ।

आज का राशिफ़ल : इन राशिवालों के लिए शनिवार विशेष दिन, पढ़े आज का अपना राशिफ़ल

शनिवार का पंचांग

24 अक्तूबर; 2020

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।। 

दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए

शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का चतुर्मुखी दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।

शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है।

आज का राशिफ़ल : इन राशिवालों के लिए शनिवार विशेष दिन, पढ़े आज का अपना राशिफ़ल

शनि देव “पिप्लाद ऋषि” के नाम का जाप करने वाले को कभी भी पीड़ा नहीं देते है । शिव का अवतार और महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्लाद ऋषि पीपल वृक्ष के नीचे अवतरित हुए थे, स्वयं ब्रह्मा ने ही शिव के इस अवतार का नामकरण किया था। 

पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।

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शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।

इस वर्ष 2020 में तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति इसलिए है क्योंकि 23 तारीख को सप्तमी सुबह 06:57 तत्पश्चात अष्टमी और 24 तारीख को सुबह 6:58 तक अष्टमी तत्पश्चात नवमी तिथि लग रही है। 

इसी तरह 25 तारीख को 7:41 तक नवमी तत्पश्चात दशमी लग रही है। इसलिए उलझन यह है कि किस दिन कौन सी तिथि मान्य होगी ?

शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिन सूर्योदय के समय आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि हो उस दिन श्रीदुर्गाष्टमी और महाष्टमी का व्रत पूजन किया जाना चाहिए। लेकिन अष्टमी तिथि सूर्योदय के कम से कम 1 घड़ी यानी 24 मिनट तक होनी चाहिए। सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाअष्टमी नहीं मानना चाहिए। लेकिन दूसरे दिन अष्टमी तिथि 24 मिनट से भी कम हो तब सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाष्टमी का व्रत पूजन कर लेना चाहिए।

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इसलिए अष्टमी 24 अक्टूबर शनिवार और नवमी 25 अक्टूबर रविवार को मनानी चाहिए । विजयदशमी का पर्व दशमी के अपराह्न के बाद मनाया जाता है इसलिए विजयदशमी 25 अक्टूबर रविवार को ही मनाई जाएगी ।

इसलिए जो अष्टमी को कन्या पूजन करते है उन्हें 24 अक्टूबर शनिवार को कन्या पूजन करना चाहिए तथाजो नवमी को कन्या पूजन करते है उन्हें भी 24 अक्टूबर शनिवार को ही कन्या पूजन करना चाहिए ।

क्योंकि नवमी 25 अक्टूबर को सुबह 07:41 तक ही है इसलिए हवन संबंधी कार्य नवमी युक्त दशमी तिथि को यानी 25 अक्टूबर को किया जाना शास्त्र के अनुसार उचित रहेगा।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य

* शक संवत – 1942,

*कलि संवत 5122

* अयन – दक्षिणायन,

* ऋतु – शरद ऋतु,

* मास – अश्विन माह

* पक्ष – शुक्ल पक्ष

*चंद्र बल –मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

तिथि (Tithi)- अष्टमी – 06:58 A.M.तक तत्पश्चात नवमी।

तिथि का स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ और नवमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है ।

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है।

आज का राशिफ़ल : इन राशिवालों के लिए शनिवार विशेष दिन, पढ़े आज का अपना राशिफ़ल

नवरात्री के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी को भगवान गणेश की माता के रूप में भी जाना जाता है । इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कोई भी संकट, दुःख उसके पास भी नहीं आता है । मां गौरी ममता की मूर्ति कही जाती हैं जो अपने भक्तों को अपने पुत्र समान प्रेम करती हैं।।

इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इनके सभी वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है और इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। 

महागौरी का वाहन वृषभ है। इन की चार भुजाएँ हैं, इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं।

अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। अष्टमी तिथि को माँ गौरी को दूध से बने नैवेद्य का भोग लगाएं।

नवरात्री की अष्टमी के दिन मां गौरी की कृपा के लिए यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

“ॐ महा गौरी देव्यै नम:”

अथवा

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

नक्षत्र (Nakshatra)- श्रवण 02:38 ए एम, अक्टूबर 25 तक

श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।

श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं । श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए। 

आज का राशिफ़ल : इन राशिवालों के लिए शनिवार विशेष दिन, पढ़े आज का अपना राशिफ़ल

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

आज अष्टमी तिथि प्रातः 06 बजकर 58 मिनट तक उपरांत नवमी तिथि का आरंभ। श्रवण नक्षत्र अर्धरात्रोत्तर 02 बजकर 38 मिनट तक उपरांत घनिष्ठा नक्षत्र का आरंभ।

शूल योग 12 बजकर 41 मिनट तक उपरांत गण्ड योग का आरंभ, बव करण प्रातः 06 बजकर 59 मिनट तक उपरांत कौलव करण का आरंभ। चंद्रमा दिन रात मकर राशि पर संचार करेगा। आज के व्रत त्योहार श्री दुर्गाष्टमी-महाष्टमी, भद्रकाली अवतार, शक कार्तिक प्रारंभ।

गुलिक काल : शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।

दिशाशूल : शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।

राहुकाल : सुबह 9:00 से 10:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 06:27

सूर्यास्त – सायं 06 :42

पर्व त्यौहार- नवरात्री की अष्टमी

आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक। अमृत काल दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 28 मिनट से मध्य रात्रि 02 बजकर 38 मिनट तक। रवि योग मध्यरात्रि 02 बजकर 38 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक।

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आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 07 बजकर 58 मिनट तक।

आज के उपायः शन‍िदेव की उपासना करें और दिव्यांगजनों को यथाशक्ति दान करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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