हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
मंगलवार का पंचांग
27 अक्टूबर , मंगलवार 2020
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए । मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए। मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य
*शक संवत – 1942
*कलि सम्वत 5122
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास -अश्विन माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,
तिथि (Tithi)- एकादशी – सुबह 10:46 बजे तक तत्पश्चात द्वादशी
तिथि का स्वामी –एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विश्व देव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी श्री विष्णु जी है ।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते है। इस बार यह 27 अक्टूबर मंगलवार को है। इस एकादशी का के बारे में खुद भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के पुण्य से समस्त पापो का नाश हो जाता है इसी कारण से इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा है।
इस एकादशी के प्रभाव से मनुष्य को धरती पर मनवांछित फल मिलते है अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन सुबह जल में आंवले का रस या आंवले का चूर्ण डालकर नहाने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है पुण्य बढ़ते है ।
नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्व भाद्रपद – नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं।
इस नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं। नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी, भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
योग (Yog) – ध्रुव– 01:08 A.M, 28 अक्टूबर तक
प्रथम करण : – विष्टि– 10:46 A.M तक
द्वितीय करण : –बव – 23:48 P.M तक
गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
दिशाशूल : मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:07
सूर्यास्त – सायं 18:03
विशेष – एकादशी को चावल और दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए । इससे रोग बढ़ते है, समस्त संचित पुण्य का नाश होता है ।
पर्व त्यौहार- पापांकुशा एकादशी
आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक। अमृतकाल रात को 12 बजकर 20 मिनट से 2 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 37 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल दोपहर 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक। दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। यमगंड सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। भद्रा सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
आज के उपायः बजरंगबली की पूजा करें और प्रसाद सब में बांट दें।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।