शिमला: सडक़ हादसों के रुझान में हो रही वृद्धि और घुटनों के जोड़ बदलने सबंधी सर्जरी बारे जागरूकता पैदा करने के लिए पारस सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल पंचकूला के माहिर डाक्टरों की एक टीम ने आज शिमला में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। डाक्टरों की टीम में आर्थोपैडिक और ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी विभाग के चेयरमैन डा . प्रदीप अग्रवाल और कंस्लटैंट डा . आनंद जिंदल शामिल थे।
इस दौरान डॉ प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश में ट्रैफिक से सबंधित मौतों में 83 प्रतिशत सडक़ हादसों कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि हादसें पश्चात घायलों की जान बचाने के लिए प्रथम 60 मिनट बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं और इसको गोल्डन आवर ( सुनहरी घण्टा ) कहा जाता है। डा . अग्रवाल ने कहा कि यदि हादसा ग्रसत मरीज समय पर सही जगह ( अस्पताल ) पहुंच जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि भारत में सडक़ हादसों कारण प्रतिदिन 400 मौतें हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि तेज रफतार और सीट बेल्ट न डालना, सिर की चोट के बड़े कारण हैं। डा .अग्रवाल ने कहा कि स्कूटर , मोटर साइकल पर हैल्मेट डालने के साथ 42 प्रतिशत मौतें घटाई जा सकती हैं । हमारे देश में अधिक आयु में दूसरी बड़ी समस्याआस्टीयोथराईटिस (हड्डियां भुरना) की है , जो हड्डियों के रोगों की एक गम्भीर समस्या है। यह बीमारी अपंगपने का बड़ा कारण बनती जा रही है और प्रत्येक वर्ष 18 मिलियन (एक करोड़ 80 लाख) लोग इसका शिकार हो रहे हैं। डा . अग्रवाल ने बताया कि आगामी 10 वर्षों में भारत जोड़ बदलने की सर्जरी के केसों में विश्व में प्रथम नम्बर पर होगा।
अद्वतने बताया कि हमारे देश में प्रतिवर्ष किन्हीं 10 लाख लोगों को जोड़ बदलवाने की आवश्यकता होती है, परंतु 30, 000 से 40, 000 तक ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी होती हैं। डा . प्रदीप अग्रवाल का हड्डियों की सर्जरी के क्षेत्र में 32 वर्ष का तुजुर्बा है और वह 40, 000 आप्रेशन कर चुके डा . आनंद जिंदल ने इस मौके संबोधित करते हुए कहा कि पारस अस्पताल पंचकूला में हादसों से सबंधित मरीजों को तुरंत उपचार के लिए सभी सुविधाएं हैं और यहां पोली ट्रॉमा केसों के उपचार के लिए डाक्टरों की टीम हर समय उपस्थित होती है ।