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पंचांग

रविवार का पंचांग : 29 नवम्बर 2020, जानिए आज का शल शुभमुहूर्त व राहुकाल का समय

November 29, 2020 08:22 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

जानिए रविवार का पंचांग

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए।

रविवार का पंचांग

रविवार, 29 नवम्बर, का पंचांग 2020

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – कार्तिक माह* पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल –वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,

तिथि (Tithi)- चतुर्दशी – 12:47 PM तक तत्पश्चात पूर्णिमा ।

तिथि का स्वामी – चतुर्दशी के स्वामी भगवान भगवान भोलेनाथ जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।

चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है । किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है, चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।

चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा, धनवान, यशस्वी, साहसी, परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।आज बैकुंठ चतुर्दशी है……

पौराणिक कथानुसार देवउठनी एकादशी के बाद जब भगवान विष्णु जी के जागने के बाद जाग्रत अवस्था में आते हैं तो उनके साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है।

इस दिन भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार भगवान विष्णु को सौंपने के लिए उनसे भेंट करते हैं इसलिए इस दिन को हरिहर मिलन के नाम से भी जाना जाता है।

साल में यही एकमात्र दिन होता है जब शिव को तुलसी और विष्णु को बिल्वपत्र अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के परमधाम बैकुंठ के दरवाजे सभी प्राणियों के लिए खुले रहते हैं इसलिए इसे बैकुंठ चौदस कहा गया है। अर्थात् इस दिन यदि किसी प्राणी की मृत्यु होती है तो वह सीधे बैकुंठ में प्रवेश करता है।

नक्षत्र (Nakshatra)- –कृत्तिकानक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है ।

कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है जो सात सितारों के एक समूह, आग को दर्शाता है और इसे शक्ति और ऊर्जा का अंतिम स्रोत माना जाता है। यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है । कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।  

कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है।

योग(Yog) – परिघ – 10:10 AM तक तत्पश्चात शिव

प्रथम करण : – वणिज – 12:47 PM तकद्वितीय करण : – विष्टि – 01:55 AM, 30 नवम्बर तक

गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक।

दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ।

राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।

सूर्योदय – प्रातः 07:00

सूर्यास्त – सायं 17:18

विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।  

पर्व त्यौहार- बैकुंठ चतुर्दशी

आज का शुभ मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 म‍िनट से दोपहर 12 बजकर 30 म‍िनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 36 म‍िनट तक। निशीथ काल रात 11 बजकर 43 म‍िनट से 30 नवंबर रात 12 बजकर 37 मि‍नट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त : राहुकाल दोपहर 04 बजकर 30 म‍िनट से 06 बजे तक। गुल‍िक काल दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 म‍िनट तक। यमगंड दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 म‍िनट तक।

आज का उपाय : सूर्य देव को जल में रोली डालकर अर्घ्‍य दें। साथ ही न‍िराश्रितजनों को सर्दी की जरूरी वस्‍तुएं दान करें।

 “हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो

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