आप सभी को काल भैरव अष्टमी / काल भैरव जयंती की हार्दिक शुभकामनायें ।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए सोमवार का पंचांग
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
सोमवार का पंचांग
7 दिसंबर 2020 का पंचांग,
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – मार्गशीर्ष माह, * पक्ष – कृष्ण पक्ष, *चंद्र बल –वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,
तिथि (Tithi)- सप्तमी – 06:47 PM तक तत्पश्चात अष्टमी, सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देव और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है।
सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें। सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए। सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है। सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।
सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है।
भैरव नाथ का अवतरण मार्गशीर्ष मास की कृष्णपक्ष अष्टमी को एक दिव्य ज्योतिर्लिंग से हुआ है, वह दिन भैरव अष्टमी / भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। भैरव का अर्थ है भय से रक्षा करने वाला। भैरव शिव के पांचवे रूद्र अवतार माने गए है। भैरव अष्टमी ‘काल’ का स्मरण कराती है, इसलिए मृत्यु के भय के दूर करने के लिए लोग इस दिन कालभैरव की उपासना करते हैं। भैरव जी की आराधना सांय काल के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है ।
भैरव नाथ समस्त रोगों, कष्टों और विपत्तियों के अधिदेवता हैं। अर्थात रोग, कष्ट, विपत्ति एवं मृत्यु के समस्त दूत उन्ही के सैनिक अर्थात उनके अधीन हैं। इसीलिए काल भैरव के भक्त को किसी भी प्रकार का दैहिक, दैवी और भौतिक ताप नहीं सताते है।
मान्यता है कि कालभैरव के पूजन से निर्भयता आती है, काल का भय दूर होता है, काल भैरव के भक्तो से बहुत पिशाच भी दूर रहते है, मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है, किसी भी तरह की समस्या से मुक्ति शीघ्र मिलती है।
भैरव अष्टमी, के दिन भैरव मंदिर में जाकर भैरव जी की मूर्ति के आगे तेल का दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद उन्हें गुलाब जामुन, इमरती, उड़द के बड़े या नमकीन भोग लगाएं। इस उपाय को करने से भैरव नाथ अपने भक्तो के सभी संकटो का तत्काल ही निवारण कर देते है।
नक्षत्र (Nakshatra)- मघा – 02:33 PM तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मघा नक्षत्र के देवता पितर देव और नक्षत्र स्वामी केतु जी है।।
मघा का अर्थ होता है महान। मघा नक्षत्र का आकाश में 10वां स्थान है। मघा नक्षत्र के चारों चरण सिंह राशि में हीआते हैं। मघा नक्षत्र को सिंहासन द्वारा दर्शाया गया है जो शक्ति, उच्च प्रतिष्ठा, गुणों का प्रतीक है। मघा नक्षत्र के जातको पर जीवन भर केतु और सूर्य का प्रभाव रहता है। मघा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बरगद एवं नक्षत्र का स्वभाव उग्र, क्रूर माना गया है।
मघा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 7 और 10, भाग्यशाली रंग, क्रीम, लाल , भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार का माना जाता है ।
मघा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पितृभ्यो नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग(Yog) – विष्कम्भ – 04:19 AM, 08 दिसम्बर तक
प्रथम करण : – विष्टि – 07:20 AM तकद्वितीय करण : बव – 06:47 PM तक तत्पश्चात बालव
गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।
सूर्योदय – प्रातः 07:06
सूर्यास्त – सायं 17:19
विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
पर्व त्यौहार- काल भैरव अष्टमी / काल भैरव जयंती
आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 14 मिनट से 05 बजकर 38 मिनट तक। अमृत काल दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 07 बजकर 01 मिनट से दोपहर 02 बजकर 33 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक। सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक यमगंड रहेगा। दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक गुलिक काल रहेगा। वर्ज्य काल रात्रि 10 बजकर 18 मिनट से 11 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 01 बजकर 15 मिनट तक इसके बाद 02 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 20 मिनट तक। भद्राकाल सुबह 07 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक।
आज के उपायः सोमवार को सफेद गाय को रोटी और गुड़ खिलाने से भी हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। भगवान शिव को जल जरूर चढ़ाएं।
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।