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पंचांग

शनिवार का पंचांग : 12 दिसम्बर 2020; जानिए आज का शुभमुहूर्त व राहुकाल का समय

December 12, 2020 10:13 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए शनिवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए । 

शनिवार का पंचांग

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।

शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।

शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।

शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – मार्गशीर्ष माह* पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल –वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

तिथि (Tithi)- द्वादशी – 07:02 AM तक तत्पश्चात त्रियोदशी

तिथि का स्वामी – द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी और त्रियोदशी तिथि के स्वामी प्रेम के देवता काम देव जी है।

हिंदू पंचाग की बाहरवीं तिथि द्वादशी (Dwadashi) कहलाती है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है । इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का पूजन करने से यश और बल की प्राप्ति होती है। इस तिथि के दिन भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का भी जन्म हुआ था।

द्वादशी तिथि में यात्रा के अतिरिक्त अन्य सभी कार्य करने शुभ होते हैं। इसके अलावा किसी भी पक्ष की द्वादशी तिथि में तुलसी जी को तोड़ना, मसूर की दाल खाना वर्जित है। द्वादशी को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें ।

त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है। इनकी पूजा करने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है। त्रियोदशी को कामदेव की पूजा करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।

इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है। त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए ।

नक्षत्र (Nakshatra)- विशाखा – 04:05 AM, 13 दिसम्बर तक

विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्राग्नी (इंद्र और अग्नि) और स्वामी बृहस्पति देव जी है।

विशाखा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 16वां है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : कटाई, नागकेशर तथा स्वाभाव अशुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर बृहस्पति देव जी का प्रभाव बना रहता है।

विशाखा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 9, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन मंगलवार, शुक्रवार और गुरुवार माना जाता है ।

विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ विशाखाभ्यां नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

योग : अतिगण्ड – 12:07 PM तक तत्पश्चात सुकर्मा

प्रथम करण : तैतिल – 07:02 AM तकद्वितीय करण : गर – 05:27 PM तकगुलिक काल : शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक । 

दिशाशूल : शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।

देवताओं की पानी है कृपा तो उन्हें चढ़ाएं ये पुष्य, जानिए किस देवी, देवता को कौन सा पुष्य चढ़ाना चाहिए

राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 07 :10

सूर्यास्त – सायं 17:19

विशेष – द्वादशी तिथि में तुलसी जी को तोड़ना, मसूर की दाल खाना वर्जित है।

आज का शुभ मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 म‍िनट से 12 बजकर 36 म‍िनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 40 म‍िनट तक। निशीथ काल रात 11 बजकर 48 म‍िनट से 13 द‍िसंबर रात 12 बजकर 43 मि‍नट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त : राहुकाल सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 म‍िनट तक। गुल‍िक काल सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 म‍िनट तक। यमगंड दोपहर 01 बजकर 30 म‍िनट से 03 बजकर 30 म‍िनट।

आज का उपाय : शन‍िदेव के मंद‍िर में दीपक जलाएं। जरूरतमंदों और द‍िव्‍यांगजनों को अन्‍न-वस्‍त्र का दान करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो । 

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