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पंचांग

शुक्रवार का पंचांग : 25 दिसम्बर 2020; जानिए आज का शुभमुहूर्त का समय

December 25, 2020 06:52 AM

आप सभी को मोक्षदा एकादशी की हार्दिक शुभकामनायें

शुक्रवार का पंचांग: हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

जानिए, शुक्रवार का पंचांग

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग

महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥  

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें । शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य, * शक संवत – 1942, *कलि संवत – 5122* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – मार्गशीर्ष माह।* पक्ष – शुक्र पक्ष*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

तिथि (Tithi)- एकादशी : – एकादशी के स्वामी विश्वदेव जी है। 25 दिसंबर शुक्रवार को अति पुण्यदायक, “मोक्षदा एकादशी” / गीता जयंती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, द्वापर युग में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को श्रीकृष्ण ने इसी कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीमद भगवत गीता का उपदेश दिया था।  

गीता का उपदेश मोह का क्षय करने के लिए है, इसीलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा गया और चूँकि इसी दिन गीता के उपदेश अस्तित्व में आये थे इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाते है।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान परम वीरअर्जुन के मन में पैदा होने वाले भ्रम को दूर करने, अज्ञान का नाश एवं जीवन को सफल बनाने के लिए उपदेश दिए थे।

श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय हैं, जिनमें 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और आखिर के 6 अध्याय भक्तियोग पर आधारित हैं।

गीता जयंती के दिन घरों और मंदिरों में श्रीमद्भगवद गीता का पाठ किया जाता है. वहीं, कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। श्रीमद भगवत गीता विश्व का एकमात्र ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनाई जाती है ।

एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।

नक्षत्र (Nakshatra)- अश्विनी – 07:37 AM तक तत्पश्चात भरणी

नक्षत्र के स्वामी ( Nakshatra Ke Swami ) – भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है।

भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है। भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है। भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है ।

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।

योग(Yog) – शिव – 14:37 PM तक तत्पश्चात सिद्धप्रथम करण : – वणिज – 12:36 PM तकद्वितीय करण : –विष्टि 

गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक दिन 7:30 से 9:00 तक ।

दिशाशूल - शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।  

राहुकाल : दिन – 10:30 से 12:00 तक।

सूर्योदय -प्रातः 07:17

सूर्यास्त – सायं : 17:25

विशेष – एकादशी को चावल और दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए।  

पर्व त्यौहार- मोक्षदा एकादशी

आज का शुभ मुहूर्तः अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक। अमृत काल अगली सुबह 05 बजकर 12 मिनट से 07 बजे तक रहेगा। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 07 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 12 मिनट से दोपहर 07 बजकर 37 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। दोपहर 03 बजकर 30 मिनट से 04 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक गुलिक काल रहेगा। वर्ज्य काल शाम 06 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 09 बजकर 16 मिनट से 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा इसके बाद दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से 01 बजकर 23 मिनट तक। भद्राकाल दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से मध्यरात्रि 01 बजकर 54 मिनट तक।  

आज के उपाय : फल का दान करें, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा।

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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