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पंचांग

गुरुवार का पंचांग : 11 फरवरी 2021, आज का शुभमुहूर्त व राहुकाल का समय

February 11, 2021 08:33 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए मंगलवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

*-नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए। 

आज का पंचांग

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।

गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं। इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें। इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है। गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है। 

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य, * शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – उत्तरायण, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – माघ माह* पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

तिथि (Tithi) – मौनी अमावस्या

तिथि का स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव है ।

आज माघ माह की अमावस्या, मौनी अमावस्या है । शास्त्रों में इस अमावस्या का बहुत महत्त्व बताया गया है ।

मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना बहुत पुण्यदायक माना गया है, इस दिन स्नान से पूर्व मौन धारण करना चाहिए । मौनी अमावस्या के दिन कटु वचन बिलकुल भी नहीं बोलने चाहिए । मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान और जप करने से अक्षय पुण्य मिलता है ।

अमावस्या के दिन किसी तीर्थ, पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए यदि घर पर ही स्नान करना हो तो जल में गंगा जल डाल कर ही स्नान करें । ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल या उससे बनी वस्तुओं का दान करने से भगवान श्री विष्णु की कृपा मिलती है।

मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण, पितरो के निमित ब्राह्मण भोजन और ब्राह्मणो को दान करने से पितरो को स्वर्ग में स्नान मिलता है, पितरो की कृपा प्राप्त होती है ।

इस दिन प्रात: पीपल के पेड़ पर लोहे के बर्तन में जल में कच्चा दूध और तिल मिलाकर चढ़ाने, धूप – दीपक जलाकर पीपल की 7 परिक्रमा करें, इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें । इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, कुंडली के ग्रहो के दुष्प्रभाव दूर होते है।

हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है । इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।

अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

नक्षत्र (Nakshatra)– श्रवण – 14 :05 PM तक तत्पश्चात धनिष्ठा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है। श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है।

यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए जातक को हनुमान जी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है । श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए । 

योग :- वरीयान्

प्रथम करण :- चतुष्पाद – 12:48 PM तक

द्वितीय करण :- नाग – 12:35 AM, 12 फरवरी तक

दिशाशूल : बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।

सूर्योदय – प्रातः 07:06

सूर्यास्त – सायं 06:05

विशेष – अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या के दिन शारीरिक सम्बन्ध बनाने से भाग्य रूठ जाता है।

पर्व त्यौहार– मौनी अमावस्या

आज का शुभ मुहूर्त - अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 57 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक। अमृत काल सुबह 3 बजकर 51 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। 

आज का अशुभ मुहूर्त - राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 3 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 55 मिनट तक। वर्ज्य काल शाम को 6 बजकर 8 मिनट से 7 बजकर 45 मिनट तक।

दिन विशेष : आज मौनी अमावस्या व्रत पूजन।

आज के उपाय : मौन रहकर स्नान करें, पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्‍णु की पूजा करें और तिल का दान करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो । 

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