सोलन : हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव के अंतिम चरण में 21 जनवरी को जिला परिषद के लिए हुए मतदान के 23 दिन बाद सोलन के धर्मपुर में मतगणना केंद्र के पास कूड़े में मुहर लगे 25 मतपत्र मिले हैं। इन मतपत्रों में जिला परिषद के दाड़वा वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार शर्मा के पक्ष में मतदान हुआ है। इसके अलावा दो सील बंद पैकेट भी बरामद किए हैं। मतपत्र मिलने के बाद हड़कंप मच गया है। उपायुक्त सोलन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य चुनाव आयोग को भी सूचित कर दिया गया है। तहसीलदार कसौली ने मौके पर जाकर जांच की। इसके अलावा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने को भी कहा गया है।
बता दें कि दाड़वा वार्ड से राजकुमार चुनाव हार गए हैं। भाजपा समर्थित प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतकर जिला परिषद के अध्यक्ष बने हैं। उधर, निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार ने कहा कि वह चुनाव नतीजे पर हाईकोर्ट से स्टे लेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें सरकार की मिलीभगत है। कांग्रेस ने भी इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरा है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रमेश चौहान ने इसकी उच्चस्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है। विकास खंड धर्मपुर के स्कूल में बनाए गए मतगणना केंद्र के समीप स्थानीय निवासी रामरत्न और एक अन्य व्यक्ति ने कूड़े के ढेर में मतपत्र देखे। इसके बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस टीम और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर मतपत्रों सहित दो अन्य सीलबंद पैकेट कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
मामले की हो रही जांच
नायब तहसीलदार कसौली रमेश चंद चंदेल ने कहा कि बरामद मतपत्र दाड़वा वार्ड नंबर 10 के घडसी, चंडी और बढलग मतदान केंद्रों के हैं। बैलेट पेपरों पर जिप उम्मीदवार राजकुमार के चुनाव चिह्न पर मुहर लगी है। इस वार्ड में कुल 15 उम्मीदवार में थे। जांच के बाद ही मतपत्रों के वैध और अवैध होने का पता चलेगा।
चुनाव आयोग ने तलब की जांच रिपोर्ट, गड़बड़ी पर होगी कार्रवाई
राज्य चुनाव आयोग ने धर्मपुर में मिले मुहर लगे मतपत्रों की जांच रिपोर्ट मांग ली है। चुनाव आयोग ने संबंधित तहसीलदार को जांच के आदेश दिए हैं। राज्य चुनाव आयोग के इतिहास में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है। अगर विजेता की जीत का अंतर कम हुआ तो चुनाव आयोग कड़ी कार्रवाई करेगा। आयोग के अधिकारी बताते हैं कि चुनाव के बाद मतपत्र 90 दिन तक सील लिफाफे में सुरक्षित रखने जरूरी होते हैं।
चुनाव में इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को भी छह माह तक सुरक्षित रखना पड़ता है, ताकि चुनाव नतीजों को कोई कोर्ट में चुनौती दे तो मतों की गिनती दोबारा की जा सके। राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी संजीव महाजन ने बताया कि तहसीलदार जांच कर रहे हैं। जांच के बाद रिपोर्ट आयोग को देंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर आयोग कार्रवाई करेगा। पुलिस में मामला दर्ज करने को भी कहा गया है।