मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र सुदामा अब नहीं रहे। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हिमाचल में बड़ी रैलियों के दौरान सांसद रामस्वरूप शर्मा प्रधानमंत्री मोदी को बड़ी काशी का सांसद कहते और स्वयं को उनका छोटी काशी मंडी का सुदामा मित्र बताते। प्रधानमंत्री भी रैलियों में अपने संबोधन के दौरान सांसद रामस्वरूप को मेरा पहलवान कहते हुए कठिन परिस्थितियों से जूझने वाला व्यक्तित्व कहते, लेकिन सांसद रामस्वरूप की खुदकुशी लोगों के जहन में कई सवाल छोड़ गई है। दिल्ली में उनके निवास पर सांसद की संदिग्ध मौत से हर कोई स्तब्ध है।
सुसाइड नोट न होने से कई राज भी दफन हो गए हैं। साधारण किसान परिवार से संबंध रखने वाले रामस्वरूप का जन्म 10 जून 1958 को जोगिंद्रनगर के गांव जालपेहाड़ में हुआ। मृदुभाषी रामस्वरूप जमीन से जुड़े नेता रहे। वह पार्टी के संगठन के प्रति वफादार और सबको साथ लेकर चलने वाले नेता थे। वह कबड्डी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे और एनएचपीसी में खेल कोटे से सुपरवाइजर की नौकरी लगे थे। बाद में कठिन परिश्रम से सांसद की कुर्सी तक पहुंचे। वह भाजपा की टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव जीते। वह 2014 और 2019 में 16वीं व 17वीं लोकसभा में सांसद बने। वह अभी विदेश मामलों की स्थायी समिति के सदस्य थे।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रभारी थे तो सांसद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के प्रभारी थे। उस दौरान वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के काफी करीबी थी। अपने कुशल समन्वय से उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व सीएम धूमल के बीच की खाई को पाटने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2016 में पहली बार सांसद बनने के बाद रामस्वरूप शर्मा शिवरात्रि समारोह के बाद दिल्ली लौटे थे , उस समय उन्हें पहला हार्ट अटैक पड़ा था। तब राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उन्हें दो स्टेंट भी पड़े थे।
इस सदमे से उबरने के बाद 2018 में शिवरात्रि के दो दिन बाद उनके परम मित्र सदर भाजपा के मंडलाध्यक्ष रहे चेतन शर्मा को भी हार्ट अटैक पड़ा था और उनकी अचानक मौत हुई। जिसके बाद रामस्वरूप काफी दुखी थे। उन्होंने ये बात कई मंचों से साझा भी की थी कि उनके बगैर मन नहीं लगता। वहीं कुछ अरसे से सांसद चुपचाप रहते थे। सिर्फ भाषणों में ही उनका जोशिला पन दिखाई देता था।
बताया जा रहा है कि घटना से पहले वह बेहद कम बातचीत करते थे। अभी कुछ दिनों से वह अस्वस्थ चल रहे थे। 12 मार्च को मंडी में अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि मेले के शुभारंभ पर उनकी सेहत काफी चर्चा का विषय रही। वह काफी कमजोर दिखे और उनका रंग भी काला पड़ गया था। मंडी को छोटी काशी का नाम दिलाने का श्रेय भी रामस्वरूप शर्मा को जाता है। यहां तक कि ब्यास आरती शुरू करवाने में भी रामस्वरूप शर्मा का अहम योगदान रहा है।
कारतूस की बेल्ट लिए 12 बोर की बंदूक साफ करते फेसबुक पर डाली गई रामस्वरूप शर्मा की पोस्ट काफी चर्चा में रही थी। इसके बाद उन्हें ट्रोल भी होना पड़ा था। वह लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से मंडी पहुंचे थे। इसे लेकर भी काफी विवाद हुआ था। क्वारंटीन अवधि पूरी करने के बाद उनकी पोस्ट काफी वायरल हुई थी। इसमें स्वर्गीय सांसद ने लिखा ‘अपने निवास जलपेहर (जोगिंद्रनगर) में अपनी लाइसेंसी 12 बोर गन (कारतूस) की सफाई और निरीक्षण करते हुए।’ इस दौरान कुछ यूजर्स ने इस पोस्ट पर उन्हें खरी-खोटी सुनाने में कसर नहीं छोड़ी तो कुछ ने तारीफ भी की।