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पंचांग

शनिवार का पञ्चाङ्ग : 20 मार्च 2021; जानिए शनिवार के शुभमुहूर्त व विशेष उपाय

March 20, 2021 08:26 AM
आज प्रातःकालीन दर्शन माँ बगलामुखी जी ।

शनिवार का पंचांग

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हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए शनिवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

शनिवार का पंचांग

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।। 

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) - शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।

शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।

शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।

शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – उत्तरायण, * ऋतु – बसंत ऋतु, * मास – फाल्गुन माह* पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल –वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,

तिथि (Tithi)- सप्तमी

तिथि का स्वामी – सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव जी हैं। सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें। सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए। सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है। सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।

सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है।

सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव के मन्त्र “ॐ सूर्याय नम:”।। की एक माला का जाप अवश्य ही करें । सप्तमी की दिशा वायव्य मानी गयी है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।

सप्तमी के दिन माँ काली जी के मन्त्र “ॐ क्रीं काल्यै नमः” का जाप करने से समस्त भय और संकट दूर होते है।

सप्तमी तिथि के दिन उत्साह से भरे, शुभ मंगल कार्य करना शुभ माना जाता है। किसी नए स्थान की यात्रा करना, नए कार्यो को करने के लिए भी यह तिथि शुभ मानी जाती है।

नए वस्त्र एवं गहनों को धारण करना, विवाह, नृत्य- संगीत जैसे काम करना भी इस दिन उत्तम होता है। चूड़ा कर्म, अन्नप्राशन, उपनयन जैसे शुभ संस्कार इस तिथि समय पर किए जाते हैं। सप्तमी तिथि को ताड़ के फल का सेवन नहीं करना चाहिए । माना जाता है कि सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग बढ़ते है।

नक्षत्र (Nakshatra)- रोहिणी – 16:46 PM तक तत्पश्चात मॄगशिरा

नक्षत्र के स्वामी ( Nakshatra Ke Swami ) – रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है ।

रोहिणी नक्षत्र, नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर है तथा चंद्रमा का केंद्र माना जाता है।

‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है। इसे आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है।रोहिणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष जामुन और स्वभाव शुभ माना गया है ।

पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है।

रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3, 6 और 9, भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला तथा भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार है।

आज रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ ऋं ऊँ लृं” अथवा “ॐ रौहिण्यै नमः” l का 108 बार जाप करें इससे रोहिणी नक्षत्र को बल मिलेगा।

रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, का दान करना चाहिए।

योग(Yog) - प्रीति – 11:58 AM तक तत्पश्चात आयुष्मान

प्रथम करण : – गर – 18:02 PM तकद्वितीय करण : – वणिज – पूर्ण रात्रि तकगुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।

सूर्योदय – प्रातः 06:25

सूर्यास्त – सायं 18:32

विशेष – सप्तमी तिथि को ताड़ के फल का सेवन नहीं करना चाहिए । सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग बढ़ते है।

आज का शुभ मुहूर्त - अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक। अमृत काल दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 02 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। गोधूलि बेला शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 06 बजकर 25 मिनट से शाम 04 बजकर 46 मिनट तक। सर्वार्थ स‍िद्धि योग सुबह 06 बजकर 25 म‍िनट से शाम 04 बजकर 46 म‍िनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त - राहुकाल सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 06 बजकर 25 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक रहेगा इसके बाद सुबह 07 बजकर 14 मिनट से 08 बजकर 02 मिनट तक।

आज के उपाय : पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं, चींटियों को आटा और चीनी मिलाकर दें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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