राजेन्द्र राणा द्वारा पानी व महगांई के मुद्दे पर की गई घेराबंदी से कांग्रेस ने जीता सोलन का रण, मुख्यमंत्री का प्रचार, 9 प्रत्याशियों को फिर भी मिली हार, पढ़े विस्तार से....
पाल की चौपाल ब्यूरो---------------------------शिमला : " टके की चटाई, नौ टका विदाई " यह कहावत नगर निगम चुनाव में हारी भाजपा पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। नगर निगम चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के साथ कांग्रेस ने भाजपा के अपना बूथ, सबसे मजबूत के नारे को भी बदल कर रख दिया है। सरकार व संगठन ने जिन नेताओं को निगम चुनाव जीताने की जिम्मेवारी दी हुई थी उनके पोलिंग बूथ से कांग्रेस को बढ़त मिली है या यूं कहे कि अपना बूथ, कांग्रेस मजबूत। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जादू सोलन में नहीं चला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 3 अप्रैल को 7 चुनावी नुक्कड़सभाओं के माध्यम से 11 प्रत्याशियों के प्रचार किया लेकिन इनमें से 8 प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व वार्ड नम्बर 14 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की चुनावी जनसभा को कांग्रेस ने अपने पक्ष में ऐसे घुमाया की भाजपा के पास उसका कोई तोड़ नहीं था। मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए कांग्रेस ने प्रचारित करना शुरू कर दिया कि उनका प्रत्याशी इतना मजबूत है कि मुख्यमंत्री को प्रचार के लिए स्वयं आना पड़ रहा है। इससे कांग्रेस को प्रचार को ऐसी गति मिली की कांग्रेस प्रत्याशी 745 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहा। हैरानी की बात यह है कि भाजपा ने कांग्रेस के इस प्रचार से कोई सबक नहीं लिया। मुख्यमंत्री की एक बड़ी चुनावी जनसभा करवाने के बजाए 3 अप्रैल को 7 वार्डों में 11 प्रत्याशियों के प्रचार के लिए 7 जनसभाएं आयोजित कर दी। कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा की हार को देखते हुए गली गली घूमना पड़ रहा है। कांग्रेस का यह प्रचार भी उनके काम भी आया। कांग्रेस 12 में से उन 9 वार्डों को जीतने में कामयाब रही जिनके लिए मुख्यमंत्री ने प्रचार किया था।
भाजपा ने तो अतिआत्मविश्वास के साथ नगर निगम चुनाव की शुरूआत की थी। भाजपा 7 में से 6 वही वार्ड जीती है जिसे कांग्रेस भी भाजपा का मन रही थी क्योंकि इन वार्डों में प्रत्याशियों का अपना व्यक्तिगत रसूक था। कांग्रेस 3 नम्बर वार्ड में अपनी जीत का दावा कर रही थी लेकिन वहां से भाजपा की जीत हुई। वार्ड नम्बर तीन में भाजपा का मजबूत क्षेत्र फिर से वार्ड नम्बर तीन में शामिल हो गया था जो पिछले चुनाव वार्ड नम्बर 2 में था। यह कारण है कि भाजपा प्रत्याशी पहले दिन से अपनी जीत को लेकर आशावान थी। जिन वार्डों में प्रत्याशियों को नेताओ के सहयोग की आवश्यकता थी वहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। अब समझ में नही आ रहा है दूसरे जिलों से प्रचार के लिए आई पार्टी नेताओं की फौज क्या कर रही थी।
भाजपा को लग रहा था कि मुख्यंत्री जयराम ठाकुर ने सोलन को नगर निगम बनाया है । इसलिए भाजपा प्रत्याशियों को सभी 17 वार्डों में भारी जनसमर्थन मिलेगा। यही कारण है कि भाजपा ऐसे प्रत्याशियों के टिकट काट रही थी जिनकी जीत की गारंटी निर्दलीय चुनाव लड़ने में भी थी। वार्ड नम्बर दो से नगर निगम चुनाव में सबसे अधिक मार्जिन 799 से चुनाव जीती सुषमा शर्मा का टिकट लास्ट तक फंसा रहा। इसके कारण कांग्रेस ने भी पहली सूची में वार्ड नम्बर दो से प्रत्याशी ही घोषित नहीं किया। वार्ड नम्बर एक से निर्दलीय चुनाव जीते मनीष ने भी भाजपा से टिकट के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। यहां के कर्णधार नेताओं को ऐसा लग रहा था कि वे जिसे टिकट देंगे वे ही चुनाव जीतेंगे । मजेदार बात यह है कि जिन प्रत्याशियों की जीत की गारंटी दी जा रही थी वे सभी चुनाव हार गए और भाजपा को 7 सीटों से संतोष करना पड़ा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी सोलन में क्या कर सकते थे जब भाजपा नेताओं के बूथ से ही कांग्रेस को बढ़त लेने में कामयाब हो गई हो। इससे तो ऐसा लग रहा है कि सोलन में भाजपा को कांग्रेस ने नही भाजपा ने ही हराया है।नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा ने भले ही डा. राजीव बिंदल का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया हो लेकिन वे भी पार्टी की गुटबाजी को दूर करने में नाकाम रहे। संगठित होकर चुनाव लड़ रही कांग्रेस इसका लाभ उठाने में कामयाब रही। स्थानीय भाजपा के नेता शहर में चल रही पानी की विकराल समस्या को समझने में नाकाम रहे जबकि सुजानपुर से सोलन प्रभारी बनकर आए राजेन्द्र राणा ने इसे समझा ही नही बल्कि बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना दिया। भाजपा नेता वार्डों में बैठके करते रहे और राजेन्द्र राणा और साेलन के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने डाेर टू डोर प्रचार कर जनता से सीधा संपर्क स्थापित किया। प्रदेश में सरकार व सोलन नगर परिषद भाजपा की होने के कारण कांग्रेस के पास उनके खिलाफ कई बढ़े मुद्दे थे।
कांग्रेस प्रभारी राजेन्द्र राणा की रणनीति का भाजपा के पास कोई जबाव ही नहीं था। कांग्रेस का प्रचार भले ही धीमा शुरू हुआ हो लेकिन बाद में यह तेज हो गया। कांग्रेस गंज बाजार की रैली से भाजपा को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब रही। इस रैली में भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य कुशल जेठी अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने मंच संभालते ही निगम चुनाव के लिए भाजपा प्रभारी डा.राजीव बिंदल पर आरोपाें की झड़ी लगा दी। कांग्रेस में ऐसा कोई नेता नहीं था जो डा. बिंदल के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोल सके। राजेन्द्र राणा ने इस काम के लिए कुशल जेठी को आगे किया और उनसे वह काम करवाया जो कांग्रेस नही कर सकती थी ।इसके कारण स्थानीय भाजपा नेता भी खुलकर प्रचार में उतर नहीं सके। इससे भाजपा बैकफुट पर आ गई। कांग्रेस ने केवल दो जनसभाओं से चुनावी माहौल अपने पक्ष में कर दिया। पहली जनसभा तो नामांकन पत्र भरने से पहले थी जबकि दूसरी 5 अप्रैल को थी। कांग्रेस ने उन वार्डों में अधिक मेहनत की जिन वार्डों में उन्हे लग रहा था कि वे जीत सकते है। वार्ड नम्बर 7, 8, 10, 11, 12, 15 व 17 इसके उदहारण है। जिन्हे कांग्रेस अपने मजबूत वार्ड नम्बर 4 व 14 के साथ जीतने में कामयाब रही। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को मिले बहुमत ने राजेन्द्र राणा के राजनीतिक कद को बढ़ा दिया है। अब पार्टी में उनका रूतबा और बढ़ गया है। सोलन की राजनीतिक पिच पर खेलना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि कांग्रेस बिखरी हुई थी लेकिन वह उन्हें एक धागे में पिरोने में कामयाब हो गए। कांग्रेस 17 में से 9 सीट जीतने में कामयाब रही।