आप सभी को नवरात्री के पांचवे दिन की हार्दिक शुभकामनायें, माँ स्कंदमाता आप सभी पर अपनी असीम कृपा बनाये रखे।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
शनिवार का पंचांग
17 अप्रैल 2021 का पंचांग
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
*विक्रम संवत् 2078 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1943, *कलि संवत 5123* अयन – उत्तरायण, * ऋतु – बसंत ऋतु, * मास – चैत्र माह* पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल –वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,
तिथि (Tithi)- पञ्चमी – 20:32 PM तकतिथि का स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है।
पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।
प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नमो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।
पंचमी को नागो के पौराणिक नाम अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।
शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन सुख और शांति की देवी मां स्कंदमाता को समर्पित है। स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की भी कृपा मिलती हैं। ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संकट और शत्रुओं का नाश होता है, मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
मां स्कंदमाता की 4 भुजाएं हैं, तथा मां का आसन कमल है। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। दूसरी व चौथी भुजा में कमल का फूल, तीसरी भुजा से माँ अपने भक्तो को आशीर्वाद देती है।
मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। इसके साथ ही इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाएं।नवरात्री के पाँचवे दिन मां स्कंदमाता की कृपा के लिए यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए।
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता.नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
नक्षत्र (Nakshatra)- मॄगशिरा – 02:34 AM, 18 अप्रैल तक
नक्षत्र के स्वामी ( Nakshatra Ke Swami ) – मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है ।
नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है।
इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है।
यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।
मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।
मॄगशिरा नक्षत्र के जातको को माँ पार्वती की आराधना अत्यंत शुभ फलदाई है ।
मॄगशिरा नक्षत्र के दिन चावल और दही के दान से भी इस नक्षत्र के अशुभ फलो को दूर किया जा सकता है ।
योग(Yog) : शोभन – 19:19 PM तक तत्पश्चात् अतिगंड
प्रथम करण : – बव 7.21 AM तक
द्वितीय करण : – शकुनि – 06:03 AM, 11 अप्रैल तक
गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 05:51
सूर्यास्त – सायं 18:50
विशेष – पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। अमृत काल शाम को 4 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 35 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह अगले दिन यानी 18 अप्रैल को सुबह 2 बजकर 34 मिनट से 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त अगले दिन सुबह 4 बजकर 24 मिनट से 5 बजकर 8 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक गुलिककाल रहेगा। दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 5 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 37 मिनट तक।
आज के उपाय : आज नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करें और छोटे बच्चों को उपहार दें।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।