शिमला: हड़ताल पर अड़ी हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर यूनियन की मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के साथ रविवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। अब सोमवार से अनिश्चितकाल के लिए निजी बस ऑपरेटर प्रदेश के करीब 3500 रूटों पर बसें नहीं चलाएंगे। हड़ताल की घोषणा के बाद से दबाव में आए परिवहन विभाग ने बयान जारी कर एलान किया था कि निजी बस ऑपरेटर यूनियन की मांगों को सरकार तक पहुंचाएंगे और कैबिनेट की अगली बैठक में इस पर फैसला हो जाएगा, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। जिला ऊना, मंडी और अन्य जिलों में ऑटो और टैक्सी चालक यूनियनों ने भी हड़ताल में शामिल होने का एलान कर दिया है।
विभाग को उम्मीद थी कि इससे बात बन जाएगी, लेकिन निजी बस ऑपरेटर यूनियन के प्रदेश पदाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया था कि यूनियन लंबे समय से सरकार से टोकन टैक्स, स्पेशल रोड टैक्स माफ करने और वर्किंग कैपिटल (ऑपरेटरों को सस्ता लोन) की घोषणा पूरा करने की मांग कर रही है, लेकिन उनकी मांगों को पूरा न कर सिर्फ बहानेबाजी की जा रही है। ऐसे में जब तक निर्णय की घोषणा नहीं होती, हड़ताल नहीं टलेगी। जाहिर है कि सरकार के बयान के बाद से अब तक दोबारा न तो कोई बैठक हुई है और न कैबिनेट ने कोई फैसला लिया है।
ऐसे में सोमवार से निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल से लोगों को भारी परेशानी झेलनी होगी। हालांकि कांगड़ा जिले में हड़ताल का असर कम ही होगा, क्योंकि यहां निजी बस ऑपरेटर दो गुटों में बंट गए हैं। एक गुट बसें चलाने के लिए तैयार है। बता दें कि हड़ताल होती है तो निजी बस ऑपरेटरों के साथ चालक-परिचालक, टायर और बस मेकेनिक सहित निजी बसों से जुड़े कार्य करने वालों के परिवार सदस्यों समेत प्रदेश के 12 से 15 लाख लोग प्रभावित होंगे।
निजी बस ऑपरेटरों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को देखते हुए सरकार ने कमर कस ली है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने सभी डिपो प्रभारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि जहां भी सवारियां ज्यादा होंगी, वहां पर अतिरिक्त बसों का संचालन किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश निजी बस चालक परिचालक यूनियन ने निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल से किनारा कर लिया है। यूनियन के चेयरमैन विकास राणा और सचिव अखिल गुप्ता का कहना है कि निजी बसों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश के करीब 10, 000 चालक-परिचालक बेरोजगार हो जाएंगे, क्योंकि अधिकतर बस ऑपरेटर अपने स्टाफ को मासिक वेतन के स्थान पर दिहाड़ी देते हैं। बसें खड़ी होने पर कोरोना काल में परिवारों का पालन-पोषण मुश्किल हो जाएगा। यूनियन ने सरकार से बेरोजगार होने वाले चालक-परिचालकों को गुजारा भत्ता देने की मांग की है।