शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना को ठेंगा दिखाकर अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है शिमला का निजी स्कूल, स्कूल की तानाशाही से अभिभावक परेशान, पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: (ओ.पी.ठाकुर); छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय द्वारा दयानंद स्कूल की फीसों के संदर्भ में जारी की गई अधिसूचना के बावजूद अभिभावकों को बार-बार मैसेज भेजकर फीस जमा करवाने के लिए मानसिक दबाव बनाने व जिन बच्चों ने अभी फीस जमा नहीं की है, उन्हें ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर करने पर दयानंद प्रबंधन की कड़ी निंदा की है व इसे तानाशाही करार दिया है। मंच ने शिक्षा निदेशक से स्कूल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। मंच दयानंद स्कूल की तानाशाही के खिलाफ 6 मई को शिक्षा निदेशक से मुलाकात करके इस मसले को उठाएगा व स्कूल पर 5 दिसम्बर 2019 की अधिसूचना में लिखित आदेश के अनुसार कठोर कार्रवाई की मांग करेगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, मंच के सदस्य भुवनेश्वर सिंह, कमलेश वर्मा, रमेश शर्मा, राजेश पराशर, अंजना मेहता, राजीव सूद, विक्रम शर्मा, हेमंत शर्मा, मनीष मेहता, विकास सूद, योगेश वर्मा, अमित राठौर, विवेक कश्यप, सोनिया सबरबाल, कपिल नेगी, रजनीश वर्मा, ऋतुराज, यशपाल, पुष्पा वर्मा, संदीप शर्मा, यादविंद्र कुमार, कपिल अग्रवाल, नीरज ठाकुर, रेखा, शोभना सूद, निशा ठाकुर व दलजीत सिंह ने कहा है कि दयानंद स्कूल तानाशाही पर उतर आया है व शिक्षा निदेशालय की हालिया अधिसूचना को ठेंगा दिखाकर अभिभावकों को डराने की कोशिश कर रहा है।
शिक्षा निदेशालय ने फीसों के संदर्भ में स्कूल से पांच दिन के भीतर जबाव देने को कहा था परन्तु उसके बजाए इसने अभिभावकों की प्रताड़ना शुरू कर दी है जिसे किसी भी तरह सहन नहीं किया जाएगा। स्कूल बार-बार अभिभावकों को मैसेज भेजकर व फोन करके पचास से साठ प्रतिशत बढ़ी हुई फीस को जमा करने के लिए दबाव बना रहा है। जो अभिभावक स्कूल की मनमानी फीसों का विरोध कर रहे हैं उनके बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर करके मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है।
यह न केवल शिक्षा निदेशालय की 5 दिसम्बर 2019 की अधिसूचना के खुला उल्लंघन है अपितु हाल ही के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी उल्लंघन है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने निजी स्कूलों के संदर्भ में दिए गए निर्णय में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी बच्चे को ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर नहीं किया जा सकता है।
दयानंद स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर करना माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अवमानना है। अभी तक शिक्षा निदेशालय को स्कूल ने फीसों के संदर्भ में दिए गए नोटिस का कोई जबाव नहीं दिया है, इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को बार-बार मैसेज भेज कर मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है। यह तानाशाही है। शिक्षा निदेशालय के 5 दिसम्बर 2019 की अधिसूचना में स्पष्ट अंकित है कि बिना आम सभा के फीस बढ़ोतरी करने पर किसी भी निजी स्कूल पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती जिसमें स्कूल की एनओसी भी रद्द हो सकती है। इसके बावजूद भी इस स्कूल की तानाशाही समझ से परे है।