हिमाचल: बायोमीट्रिक प्रणाली से ही मिलेगा डिपुओं में राशन, सैनिटाइजर का खर्च उठाएगा विभाग, पढ़े पूरी खबर..
शिमला : हिमाचल प्रदेश के डिपुओं में बायोमीट्रिक प्रणाली से ही राशन दिया जाएगा। कोविड काल में जरूरतमंद लोगों को पांच किलो राशन निशुल्क दिया जाएगा। राशन का वितरण ऑनलाइन प्रणाली से होगा। ऑनलाइन में कम जबकि ऑफलाइन वितरण प्रणाली से कोविड संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में खाद्य आपूर्ति मंत्री ने निर्णय लिया है कि डिपुओं में राशन ऑनलाइन प्रणाली से ही वितरित होगा।
वहीं, प्रदेश के डिपोधारक सरकार से मांग कर रहे हैं कि डिपुओं में बायोमिट्रिक प्रणाली से राशन का वितरण कोरोना काल में बंद किया जाए। विभाग ने साफ किया है कि डिपुओं में बायोमीट्रिक प्रणाली से ही राशन वितरित होगा।खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रदेश राजेंद्र गर्ग ने बताया कि उन्होंने डिपो धारकों को पत्र जारी किया है कि डिपो में आने वाले सभी उपभोक्ताओं के हाथों को सैनिटाइज किया जाए। अंगूठा लगाने से पहले और बाद में मशीन को भी सैनिटाइज किया जाए। इसका खर्च विभाग व्यय करेगा।
मंत्री का कहना है कि अगर ऑनलाइन प्रक्रिया बंद कर दी जाती है तो लोगों को और ज्यादा समस्याओं से जूझना पड़ेगा। रजिस्टर में एंट्री करने के लिए एक पेन एक रजिस्टर का प्रयोग होगा। जो उपभोक्ता हस्ताक्षर करना न जानता हो उससे अंगूठा लगवाया जाएगा। रजिस्टर सैनिटाइज भी नहीं हो सकता, जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे डिपुओं में हाथ सैनिटाइज करने के बाद प्रक्रिया पूरी करें।
बता दें कि कोरोना संक्रमण का संकट बढ़ते देख जहां हिमाचल सरकार ने भीड़ को घटाने के लिए कोरोना कर्फ्यू में शख्त बन्दिशें लगाने का प्रयास कर रही है तो वहीं उचित मूल्य की दुकानों पर मिल रहे सस्ते राशन के लिए संबंधित विभाग गंभीर नहीं दिख रहा है। विभाग भले ही डिपों धारकों को सैनिटाइजर खर्च देने के बड़े बड़े दावे कर रहा है पर धरातल पर कुछ नही हो रहा है। विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली से जहां पीओएस मशीन पर बार-बार तमाम उपभोक्ताओं का अंगूठा लगने से कोरोना के खतरे से लोग डर रहे हैं तो वहीं ऐसी स्थिति में कई डिपो में नेटवर्क आदि की समस्या के चलते उपभोक्ताओं को राशन लेना गले की फांस बन गया है।
डिजिटल इंडिया के इस दौर में डिजिटल राशन कार्ड से सामान लेना लोगों के लिए पहले से मुसीबत का कारण बना हुआ है। लोगों का आरोप है कि जब से यह राशन कार्ड प्रणाली शुरू हुई, तभी से लोगों को उचित मूल्य की दुकानों के कई-कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।