आशा कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों में घर घर जाकर स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े काम करती हैं लेकिन अब उनका काम कोविड-19 के कारण बढ़ गया है। महामारी के कारण जोखिम भी बढ़ गया है, पढ़े विस्तार से ..
शिमलाः हिमाचल में सरकार आए दिन बैठकें कर संक्रमण की रोकथाम के नई-नई योजनाएं तैयार कर रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग सरकार की इन नई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में नाकाम हो रहा है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग जहां संक्रमितों को ऑक्सीमीटर समेत अन्य सुविधाओं को देने का दावा तो कर रहें है, लेकिन हकीकत में ग्राउंड लेवल पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीमीटर है ही नहीं। लोगों को स्वयं बाजार से महंगे दामों में ऑक्सीमीटर खरीदने के लिए भटकना पड़ रहा हैं।
हिमाचल प्रदेश कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड मरीजों के ऑक्सीजन लेवल जांच के लिए कुछ एक आशा वर्कर को ऑक्सीमीटर दिए गए हैं, जबकि एक आशा वर्कर के पास सैकड़ों लोगों की जिम्मेदारी है। ऐसे में मान लो अगर पांच सौ में से 50 लोग भी संक्रमित हो जाते हैं तो सभी को ऑक्सीमीटर मुहैया करवा पाना बहुत मुश्किल है।
इतना ही नहीं, अगर किसी को ऑक्सीमीटर दे भी दिया जाए, तो मरीज उसे अपने पास तब तक रख सकता है, जब तक वह ठीक नहीं हो जाता। ऐसे में पहुंच वाले लोगों तक तो ऑक्सीमीटर पहुंच जाता है, लेकिन गरीब कोविड संक्रमित मरीज इसके लिए तरस रहा हैं। हिमाचल में ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी होना शुरू हो गई है। ऑनलाइन कंपनियों समेत स्थानीय दुकानदार भी ऑक्सी मीटर के मनमाने दाम वसूल रहे हैं। दुकानों पर 500 का ऑक्सी मीटर 2200 में बेचा जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह इस पर नियंत्रण रखे और कालाबाजारी पर अंकुश लगाए।
प्रदेश कें गांवों में कोरोना की रफ्तार बढ़ना शुरू हो गई है। कई गांवों को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात आशा वर्करों के पास पर्याप्त उपकरण न होने से लोगों तथा आशा वर्कर्स की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सरकार को चाहिए कि समय रहते जरूरी उपकरण, ऑक्सीमीटर तथा दवाइयां मुहैया करवाई जाए।
संकट की इस घड़ी में आशा वर्कर फील्ड में उतरकर कोरोना मरीजों की देखरेख कर रही हैं। ग्रामीण क्षत्रों में आशा वर्कर कोरोना मरीजों के घर-घर जाकर उनकी सहायता कर रही हैं और उन्हें सुविधाएं मुहैया करवा रहीं हैं। फ्रंट लाइन पर आकर आशा वर्कर्स काम कर रहीं है। कोविड की इस गंभीर स्थिति में आशा वर्कर्स खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहीं है। उन्होंने सरकार से पीपीई किट उपलब्ध करवाने की मांग की है। आशा वर्कर्स का कहना है कि वह इस महामारी के दौरान सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं।
बता दें कि कोरोना के आंकड़ों में हो रही बढ़ोतरी के चलते अधिकतर डॉक्टर लोगों से घर पर ही आइसोलेट होने की सलाह दे रहे हैं। जिन लोगों में ऑक्सीजन का लेवल कम हो रहा है केवल उन्हीं को अस्पताल में एडमिट कराने की सलाह दी जा रही हैं। ऑक्सीजन का लेवल नापने के लिए डॉक्टर ऑक्सी मीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में घर पर अगर आप आइसोलेट हैं तो ऑक्सीजन नापने के लिए पल्स ऑक्सी मीटर का होना बेहद जरूरी है।