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पंचांग

बुधवार का पंचांग: 04 अगस्त 2021; ये रहा आज का शुभमुहूर्त्त, पढ़े

August 04, 2021 09:47 AM

बुधवार का पंचांग

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए बुधवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

बुधवार का पंचांग

04 अगस्त 2021

गणेश गायत्री मंत्र :

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।

बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

*विक्रम संवत् 2078, *शक संवत – 1943*कलि संवत 5123*अयन – दक्षिणायण*ऋतु – वर्षा ऋतु*मास – श्रावण माह*पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल –मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

तिथि (Tithi)- एकादशी – 15:17 तक ततपश्चात द्वादशी

तिथि के स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी विष्णु जी है।

आप सभी को कामिका एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी कामिका एकादशी कहलाती है।

शास्त्रों के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण कहने पर इस एकादशी का व्रत रखा था। इस एकादशी के पुण्य फल के कारण समस्त कामनाएं सिद्ध होती है।यह एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है।

एकादशी के दिन जल में आंवले / आंवले का रस / आंवले का चूर्ण डाल कर स्नान करने से पुण्य बढ़ते है। एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के मंदिर में एक नारियल व थोड़े बादाम चढ़ाएं। इस उपाय से जीवन में आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है कार्यों में समस्त बाधाएं भी दूर हो जाती है ।

पीपल में भगवान विष्णु का ही वास माना गया है। यदि आप कर्ज से परेशान है तो एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष पर मीठा जल चढ़ाएं और शाम के समय दीपक लगाएं। इस उपाय से शीघ्र ही कर्ज मुक्ति के योग प्रबल होते है , कार्यों में सफलता मिलती है , धन टिकता है ।

एकादशी के दिन सांय के समय तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर और ऊँ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें । इस उपाय से घर के सदस्यों के मध्य प्रेम, सुख-शांति बनी रहती है उस परिवार पर किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आता है।

नक्षत्र (Nakshatra)- मॄगशिरा – 28:25+ तक आर्द्रानक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मॄगशिरा नक्षत्र के देवता शशम्रत ( चन्द्रमा ) हैं।

मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है ।

नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है।

यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।

चन्द्रमा का असर होने के कारण इस राशि के जातक कल्पनाशील, भावुक, सौंदर्य प्रेमी, बुद्धिमान, परिश्रमी, उत्साहीऔर ज्ञानवान होते हैं।

मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

मॄगशिरा नक्षत्र के जातको को माँ पार्वती की आराधना अत्यंत शुभ फलदाई है । मॄगशिरा नक्षत्र के दिन चावल और दही के दान से भी इस नक्षत्र के अशुभ फलो को दूर किया जा सकता है ।

योग(Yog) – व्याघात – 24:52+ तकप्रथम करण : – बालव – 15:17 तकद्वितीय करण : – कौलव – 28:17+ तकगुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा/हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।

सूर्योदय – प्रातः 5.40

सूर्यास्त – सायं 07.15

विशेष – एकादशी में चावल और सेम की फली नहीं खानी चाहिए , इस दिन इनके सेवन से पाप और रोग बढ़ता है ।

पर्व त्यौहार- कामिका एकादशी

आज का शुभ मुहूर्त 4 अगस्‍त 2021 :

विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक। अमृत काल शाम 06 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त अगले दिन सुबह 4 बजकर 20 मिनट से 5 बजकर 02 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 4 अगस्‍त 2021 :

राहुकाल दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 07 बजकर 30 म‍िनट से 09 बजे तक यमगंड रहेगा। सुबह 10 बजकर 30 म‍िनट से 12 बजे तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 म‍िनट तक।

आज के उपाय : लक्ष्मी नारायण की पूजा करें, नारायण कवच का पाठ कीजिए।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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