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पंचांग

आज का पंचांग : 17 अगस्त 2021; जानिए आज का शुभमुहूर्त्त का समय..

August 17, 2021 07:36 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए मंगलवार का पंचांग

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

17 अगस्त 2021

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए। मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है। मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है। मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

पंचांग : राष्ट्रीय मिति श्रावण 26, शक संवत् 1943 श्रावण शुक्ल, दशमी, मंगलवार, विक्रम संवत् 2078। सौर भाद्रपद मास प्रविष्टे 02, मुहर्रम 08, हिजरी 1443 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 17 अगस्त सन् 2021 ई॰। सूर्य दक्षिणायण, दक्षिण गोल, वर्षा ऋतुः।

*कलि सम्वत 5123 *अयन – दक्षिणायण *ऋतु – वर्षा ऋतु *मास – सावन माह *पक्ष – शुक्ल पक्ष *चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तूला, धनु, कुंभ, मीन।

तिथि :- दशमी – 27:20+ तक तत्पश्चात एकादशी

तिथि के स्वामी – दशमी तिथि की स्वामी यमराज जी है ।

दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है। शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं। यह भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी) इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है। यमराज की पत्नी का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है। 

यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं। इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है, नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है। इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है । दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है। 

यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें । दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए। 

नक्षत्र (Nakshatra)- ज्येष्ठा – 25:35+ तक मूलनक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र जी है । ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है। ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।

देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग सफ़ेद, भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है । ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

योग (Yog) – वैधृति – 24:04+ तक

प्रथम करण : – तैतिल – 16:28 तक

द्वितीय करण : – गर – 27:20+ तक

गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।

दिशाशूल : मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।

सूर्योदय – प्रातः 05:48,

सूर्यास्त – सायं 07: 01

विशेष – दशमी को कलम्बी का सेवन नहीं करना चाहिए।

आज का शुभ मुहूर्त 17 अगस्त 2021 : अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 म‍िनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक। अमृत काल शाम 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। रवि योग पूरा द‍िन रहेगा। 

आज का अशुभ मुहूर्त 17 अगस्त 2021 : राहुकाल दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 म‍िनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 म‍िनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 08 बजकर 29 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। इसके बाद रात 11 बजकर 20 म‍िनट से 12 बजकर 03 म‍िनट तक। गंडमूल पूरा द‍िन रहेगा।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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