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पंचांग

रविवार का पंचांग: 22 अगस्त 2021; आप सभी को रक्षाबंधन एवं पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं..

August 22, 2021 07:08 AM

आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए रविवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

रविवार का पंचांग

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

*विक्रम संवत् 2078, * शक संवत – 1943, *कलि संवत 5123* अयन –दक्षिणायण, * ऋतु – वर्षा ऋतु, * मास – सावन माह* पक्ष – शुक्ल पक्ष* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

तिथि (Tithi)- पूर्णिमा – 17:31 तक तत्पश्चात प्रतिपदापूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रमा जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि जी है।

पूर्णिमा के दिन अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दूध में शहद एवं चन्दन मिलाकर छाया देखकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।

पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें । अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है।

इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे। आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी ।

हर पूर्णिमा के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए । इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें ।

सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का महा पर्व मनाया जाता है । शास्त्रों के अनुसार राखी, रक्षा बंधन को शुभ मुहूर्त में ही बांधना चाहिए ।

इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र / राखी बांधकर उनके कल्याण, उन्नति की कामना करती है और भाई हर हाल में आजीवन अपनी बहन की रक्षा , उसके सुख-सौभाग्य के लिए वचन देते है ।

शास्त्रों के अनुसार जो बहन रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को शुभ मुहूर्त में प्रेम पूर्वक रक्षा सूत्र / राखी बांधती है, उसके भाई का कोई अहित नहीं होता है, उस बहन – भाई के जीवन में सुख – सौभाग्य की कभी कमी नहीं होती है। 

रक्षाबंधन का शुुभ मुहूर्त: – सुबह 05:50 मिनट से शाम 18:03 मिनट

रक्षा सूत्र / राखी बंधवाने का समय : – 12 घंटे 11 मिनट

अमृत काल: – प्रात: 09:34 से 11:07 तक

अभिजीत मुहूर्त: – दोपहर 12:04 से 12:58 मिनट तक

दोपहर का मुहूर्त : – 01:44 से 16:23 मिनट तक

राहु काल सांय 4.30 से 6.00 बजे तक

इस बार रक्षा बंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा ।

कोई भी ऐसा पौधा जो किसी वटवृक्ष (बड़ के पेड़) के नीचे उगा हुआ हो, रक्षाबंधन ( Rakshabandhan ) के दिन उसे लाकर अपने घर की मिट्टी या गमले में स्थापित करें। ऐसा करने से घर का दरिद्र दूर होकर घर में लक्ष्मी का वास होता है।

यदि किसी व्यक्ति ने आपसे पैसा उधार लिया है लेकिन वापिस नहीं दे रहा है तो रक्षाबंधन के दिन सूखे कपूर का काजल बनाना चाहिए। इस काजल से एक कागज पर उसका नाम लिखकर किसी भारी पत्थर के नीचे दबा देना चाहिए, तुरंत पैसा वापिस आ जाएगा।

कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार हो तथा उसकी बीमारी ठीक नहीं हो रही है तो रात में एक सिक्का रोगी के सिरहाने रख देना चाहिए। अगले दिन सुबह ही उस सिक्के को श्मशान में फेंक देने से रोगी शीघ्र स्वस्थ हो जाता है।

जिन लोगो को जीवन में धन का आभाव रहता हो वह रक्षाबंधन को रात में चन्द्रमा के उदय होते समय मीठे दूध में साबुत बासमती चावल डाल कर ‘ॐ सोमेश्वराय नम:’ का जप करते हुए उससे चन्द्र देव को अर्ध्य दें और अपने जीवन में धन का आभाव दूर करने की प्रार्थना करें । इस उपाय से धन में चली आ रही परेशानी समाप्त हो जाती है।

नक्षत्र (Nakshatra)- – धनिष्ठा – 19:40 तक तत्पश्चात शतभिषा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- धनिष्ठा नक्षत्र के देवता देव वसु (आठ प्रकार के वसु ) जी है ।

27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा नक्षत्र 23वां नक्षत्र है। ‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है ‘सबसे अधिक धनवान’। धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल और देवता वसु हैं। इस नक्षत्र के लोग समान्यता दुबले शरीर वाले ही होते हैं। वैदिक ज्योतिष में आठ वसुओं को इस नक्षत्र का अधिपति देवता माना गया है, वसु श्रेष्ठता, सुरक्षा, धन-धान्य आदि वस्तुओं के ही दूसरे नाम भी हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र सितारा का लिंग महिला है। धनिष्ठा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: शमी, तथा स्वाभाव शुभ होता है ।इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति अनेको गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सुख-समृद्धि, उच्च पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। ये लोग स्वभाव से संवेदनशील, दानी एवं अध्यात्मिक होते हैं। इस नक्षत्र के जातक दूसरों को कड़वे वचन नहीं बोलते है। यह अपने सम्बन्धो, कार्यो के प्रति ईमानदार होते हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 9, भाग्यशाली रंग चमकीला स्लेटी, ग्रे, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और बुधवार होता है ।

धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज “ॐ धनिष्ठायै नमः ” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

योग (Yog) – शोभन – 10:34 तक तत्पश्चात अतिगण्ड

प्रथम करण : – विष्टि – 06:12 तकद्वितीय करण : – बव – 17:31 तकगुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ । 

राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।

सूर्योदय – प्रातः 05:51

सूर्यास्त – सायं 18:56

विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है । रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

पर्व त्यौहार- रक्षाबंधन

आज का शुभ मुहूर्त 22 अगस्त 2021 :

अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 5 मिनट तक। अमृत काल सुबह 9 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 7 मिनट तक। ब्रह्म मुहूर्त अगले दिन सुबह 4 बजकर 26 मिनट से 5 बजकर 10 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 22 अगस्त 2021 :

राहुकाल दोपहर में 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल शाम को 5 बजकर 10 मिनट से 6 बजकर 2 मिनट तक। भद्रा सुबह 5 बजकर 54 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक। पंचक सुबह 7 बजकर 57 मिनट से अगले दिन 5 बजकर 54 मिनट तक।

आज के उपाय : लक्ष्मी नारायण की पूजा करें, श्रीकृष्ण को रक्षा सूत्र बांधे।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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