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पंचांग

मंगलवार का पंचांग: 07 सितम्बर 2021; जाने आज का शुभमुहूर्त

September 07, 2021 08:45 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए मंगलवार का पंचांग

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।

मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।

मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

*विक्रम संवत् 2078, *शक संवत – 1943*कलि सम्वत 5123*अयन – दक्षिणायण*ऋतु – वर्षा ऋतु*मास – भाद्रपद माह, *पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुंभ।

तिथि :-अमावस्या – 06:21 तक तत्पश्चात् प्रतिपदा – 28:37+ तक द्वितीया

तिथि के स्वामी – अमावस्या तिथि की स्वामिनी पित्रदेव जी है।

अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है। प्रत्येक अमावस्या के दिन जल में कच्चा दूध, काले तिल, जौ, थोड़ा घी, थोड़ा सा शहद डालकर पितरो का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए, इससे पितृ अति प्रसन्न एवं तृप्त होते है।

पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है। अमावस्या के दिन सुबह के समय लोहे के बर्तन में, दूध, पानी, काले तिल, शहद एवं जौ मिला कर समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करके पीपल की 7 परिक्रमा करें, तथा इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें । इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, उनका आशीर्वाद मिलता है ।

आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।

अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।

हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।

इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।

अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाफाल्गुनी – 17:05 तक तत्पश्चात् उत्तराफाल्गुनी, नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग्र जी है । पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है।

आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक बिस्तर के सामने के दो पैर हैं जो आराम, अच्छे भाग्य का भी प्रतीक है। यह नक्षत्र सुख, धन, कामुक प्रसन्नता, प्रेम और मनोरंजन को दर्शाता हैं।

इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पलाश तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चाकलेटी, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और रविवार माना जाता है ।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ भगाय नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

योग (Yog) – साध्य – 26:21+ तकप्रथम करण : – नाग – 06:21 तकद्वितीय करण : – किंस्तुघ्न – 17:32 तकगुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।

दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 06:00

सूर्यास्त – सायं 18:37

विशेष – अमावस्या के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।

पर्व त्यौहार- भाद्रपद माह की अमावस्या

आज का शुभ मुहूर्त 7 स‍ितंबर 2021 - अभ‍िजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 म‍िनट से 12 बजकर 44 म‍िनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 07 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 54 म‍िनट से 12 बजकर 27 म‍िनट तक। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 31 म‍िनट से 05 बजकर 16 म‍िनट तक। त्रिपुष्‍कर योग 8 स‍ितंबर सुबह 04 बजकर 37 म‍िनट से 06 बजकर 02 म‍िनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 7 स‍ितंबर 2021 : राहुकाल दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 म‍िनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 म‍िनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 08 बजकर 33 मिनट से 09 बजकर 23 मिनट तक। इसके बाद रात 11 बजकर 10 म‍िनट से रात 11 बजकर 56 म‍िनट तक।

आज के उपाय : हनुमान चालीसा का पाठ करें, बूंदी का प्रसाद वितरण करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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