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पंचांग

बुधवार का पंचांग : 13 अक्तूबर 2021; जानिए आज का शुभ मुहूर्त..

October 13, 2021 09:00 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए बुधवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

बुधवार का पंचांग

13 अक्टूबर 2021

गणेश गायत्री मंत्र :

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) :  बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है। बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

*विक्रम संवत् 2078, *शक संवत – 1943*कलि संवत 5123*अयन – दक्षिणायण*ऋतु – शरद ऋतु*मास – अश्विन माह*पक्ष -शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मेष, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन।

माँ महा गौरी जी का मन्त्र:-“ॐ महा गौरी देव्यै नम:” ।।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

नवरात्रि में महाष्टमी और नवमी का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष नवरात्रि आठ दिन के होने की वजह से अष्टमी आज 13 अक्टूबर को है।

नवरात्री की अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन लोग पूर्ण श्रद्धा से कन्याओं को जिमाते है तथा शुभ मुहूर्त में माता की पूजा और हवन करते है।।मां महागौरी की आयु आठ वर्ष की मानी गई है, माता की चार भुजाएँ हैं। मां का वाहन वृषभ है।

इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल शोभायमान है। माता के ऊपर के बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। मां महागौरी की मुद्रा अत्यंत शांत है।

माता के सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए माँ को श्वेताम्बरधरा भी कहते है।

मां महागौरी की पूजा असीम फल देने वाली हैं, इनकी आराधना से भक्तों के तमाम पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।

ज्योतिष शास्त्र में अष्टमी तिथि को जया तिथि कहा गया है। मान्यता है कि अष्टमी को किए गए कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती हैं।

महाअष्टमी के दिन संधि पूजा का अत्यंत पुण्य दायक मानी जाती है, ये पूजा अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के प्रारम्भ के 24 मिनट पर होती है।

महा अष्टमी पर हवन करने का शुभ मुहूर्त सांय काल 7 बजकर 42 मिनट से रात्रि 8 बजकर 7 मिनट तक है।

अष्टमी तिथि आरंभ- 12 अक्टूबर 2021 को रात्रि 09 बजकर 47 मिनट से

अष्टमी तिथि समाप्त- 13 अक्टूबर 2021 को रात्रि 08 बजकर 07 मिनट पर

तिथि (Tithi)- अष्टमी – 20:07 तक तत्पश्चात् नवमीतिथि के स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है।।अष्टमी तिथि जया तिथि कहलाती है।

यदि अष्टमी तिथि बुधवार को हो तो मृत्युदा योग बनाती है। इस समय शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

लेकिन अष्टमी तिथि जब मंगलवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। इस समय कार्य करने से कार्य सिद्ध होते है।

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है , पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।

अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। मंगलवार को छोड़कर अष्टमी तिथि सभी प्रकार के कार्यो के शुभ है।

अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए। अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।

नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाषाढा – 10:19 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा । नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वाषाढा नक्षत्र के देवता क्षीर (जल ) जी है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है । शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है। यह हाथी दांत या हाथ का पंखा जैसा नज़र आता है जो कि शक्ति और विजय को दर्शाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष वेत और नक्षत्र का स्वभाव उग्र माना गया है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 6, भाग्यशाली रंग, काला, गहरा भूरा, भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, शुक्रवार और गुरुवारका माना जाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है।

योग(Yog) – सुकर्मा – 27:48+ तकप्रथम करण : -विष्टि – 08:54 तकद्वितीय करण : – बव – 20:07 तकगुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा/हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।

राहुकाल : बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।

सूर्योदय – प्रातः 6.22

सूर्यास्त – सायं 17.52

विशेष – अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होती है ।

पर्व त्यौहार- नवरात्री की अष्टमी

आज का शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर 2021 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक। अमृत काल मध्‍यरात्रि 03 बजकर 23 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर 2021 :

राहुकाल दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक यमगंड रहेगा। सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। भद्राकाल सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 08 बजकर 54 मिनट तक।

आज के उपाय : 13 अक्टूबर 2021 : दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय का पाठ करें, माता गौरी को सुहाग सामग्री भेंट करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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