कांगड़ा : (धर्मशाला); प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज टांडा में आए दिन मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग लोगों को बेहतर सेवाएं देने के वादे कर रहा है, पर हकीकत कुछ और है। जिला कांगड़ा के सबसे बड़े अस्पताल में एक साल के अधिक समय से खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन को न तो अस्पताल प्रशासन और न ही सरकार ठीक करवा सकी है और न ही वहां पर नई मशीन स्थापित हो पाई है।
तीन माह पहले टांडा मेडिकल कॉलेज में हुई रोगी कल्याण समिति की बैठक में नई सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए आठ से दस करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था। वहीं, अक्तूबर माह तक नई मशीन लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन न तो अभी तक मशीन लग पाई और न ही लोगों को कोई सुविधा मिल सकी है। इससे प्रदेश सरकार और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने नजर आ रही है।
जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा न होने के कारण आपातकालीन स्थिति में मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख कर हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। वहीं, समय पर आपातकालीन स्थिति में समय में सीटी स्कैन न होने से मरीजों की जान को भी खतरा पैदा हो रहा है।
टांडा मेडिकल कॉलेज में जिस समय सीटी स्कैन मशीन ठीक थी, इस दौरान अस्पताल में रोजाना 45 से 50 मरीजों के सीटी स्कैन होते थे। मगर इस समय मशीन खराब होने के कारण मरीजों को अन्य निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में उपचार करवाने के लिए करीब पांच जिलों के मरीज आते हैं। इनमें जिला कांगड़ा, चंबा, ऊना, हमीरपुर और मंडी शामिल हैं। मगर समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. भानू अवस्थी ने बताया कि अस्पताल में नई सीटी स्कैन मशीन लगाने का कार्य चल रहा है। दिसंबर माह के पहले हफ्ते में मरीजों को टांडा अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा मिल जाएगी।