नई दिल्ली: कोरोना के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद तीसरी लहर की बढ़ती आशंका के बीच टीके की बूस्टर डोज लगाने की अनुमति देने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही टीके के असर की अवधि को नौ महीने तक सीमित करने के यूरोपीय देशों के प्रस्ताव ने भारतीयों के लिए बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत बढ़ा दी है। सरकार अभी तक सभी वयस्कों को दो डोज देने को अपनी प्राथमिकता बता रही है, लेकिन देश में बड़ी संख्या में टीके की उपलब्धता को देखते हुए बूस्टर डोज को इसमें रुकावट के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
देश में कोविड-19 वैक्सीनेशन का आंकड़ा 120.96 करोड़ के पार पहुंच गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार शाम 7 बजे तक कोविड वैक्सीन की 65 लाख से ज्यादा डोज लगाई गई हैं।
दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके कारण लगाए जा रहे प्रतिबंधों के विरोध में लोगों के प्रदर्शन को देखते हुए यूरोपीय संघ ने टीकाकरण के आधार पर बेरोकटोक आवाजाही के लिए नए नियम बनाने की जरूरत बताई है। प्रस्तावित नियमों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मान्यता प्राप्त कोरोना रोधी टीके की समय सीमा नौ महीने तक सीमित रखने को कहा गया है। यूरोपीय संघ का मानना है कि टीके की दोनों डोज लेने के नौ महीने के बाद किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है यानी उसके बाद वह फिर से संक्रमित होकर नए सिरे से संक्रमण फैलाने का कारण बन सकता है।
जाहिर है 9 महीने की समय सीमा तय होने के कारण मार्च तक दोनों डोज लेने वाले दिसंबर के बाद यूरोपीय देशों की यात्रा नहीं कर पाएंगे। इसी तरह अप्रैल तक दोनों डोज लेने वालों पर जनवरी के बाद और मई तक दोनों डोज लेने वालों पर फरवरी के बाद यूरोप में बेरोकटोक यात्रा पर प्रतिबंध लग जाएगा और धीरे-धीरे ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती चली जाएगी। वैसे भी ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्हें दोनों डोज लगे छह से सात महीने का वक्त हो चुका है।
यूरोपीय संघ के नए प्रस्ताव पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी साफ-साफ कुछ भी कहने से बचते रहे। उनका कहना था कि टीकाकरण का फैसला एनटागी (नेशनल टेक्निकल एक्सपर्ट ग्रुप आन इम्युनाइजेशन) लेता है। एनटागी यदि बूस्टर डोज की अनुशंसा करता है तो सरकार उस पर विचार कर सकती है। दैनिक जागरण ने इस संबंध में एनटागी के प्रमुख डा. एनके अरोड़ा से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।