शिमला: (हिमदर्शन समाचार); पहाड़ों की रानी शिमला में स्थित कालीबाड़ी मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। ये मंदिर माँ ‘देवी श्यामला’ को समर्पित है। श्यामला देवी को देवी काली का ही अवतार माना जाता है। कहा जाता हैं शिमला का नाम पहले श्यामला ही था जो माँ श्यामला के नाम से ही व्युत्पन्न है। पर धीरे- धीरे बोल चाल की भाषा में श्यामला का नाम शिमला हो गया।
शिमला के माल रोड से कुछ ही दूरी पर स्थित कालीबाड़ी मंदिर का निर्माण सन् 1823 में हुआ था। मंदिर में देवी की लकड़ी की एक मूर्ति प्रतिस्थापित है। दीवाली, नवरात्री और दुर्गापूजा जैसे हिंदू त्योहारों के अवसर पर बहुत से भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। मां की मूर्ति के ऊपर चांदी का छतर व समीप ही फन फैलाए नाग देवता की कलात्मक मूर्ति देखकर भक्तजन आत्म विभोर हो जाते हैं। मंदिर के आसपास बैठे पंडित निरंतर माता का मंत्रोच्चारण करते रहते हैं जिससे यहाँ का माहौल हरदम भक्तिमय रहता हैं।
कहा जाता हैं कि ब्रिटिश काल में बने इस मंदिर के स्थान पर पहले एक गुफा हुआ करती थी। शिमला कालीबाड़ी मंदिर का निर्माण राम चरण ब्राह्मण ने करवाया, जो एक बंगाली परिवार से सम्बन्ध रखते थे। कालीबाड़ी मंदिर में काली माता की मूर्ति के साथ एक तरफ श्यामला माता की शिला है और दूसरी तरफ चंडी माता की शिला है। इस मंदिर में माता की पत्थर की मूर्ति लगी है। इस मूर्ति में लगे पत्थरों को जयपुर से मंगवाया गया है। मंदिर निर्माण के बाद वर्ष 1885 में शिमला कालीबाड़ी प्रबंधन कमेटी का गठन हुआ। उसके बाद 1903 में कालीबाड़ी मंदिर ट्रस्ट बना, जो इस मंदिर को चला रहा है।
शिमला माल रोड़ से मन्दिर केवल 10-15 मिनट की दूरी पर स्थित है। देवी श्यामला को माँ काली का एक रूप माना जाता है। पहाड़ों और हरी-भरी वादियों के बीच बसा यह पवित्र स्थल मन को शांति और सकारात्मकता से भर देता है।
माँ श्यामला के साथ-साथ कालीबाड़ी मन्दिर में माँ चंडी देवी, माँ काली, शिवलिंग और माँ काली के कुछ प्रमुख अवतारों की पूजा की जाती है, जिनमें छिन्नमस्ता, रुद्राणी, भद्रकाली, चामुंडा, तारा, दुर्गा, हिमावती, कुमारी, सती, कामाख्या, मीनाक्षी और उमा शामिल हैं।