सोलन/अर्की: (हिमदर्शन समाचार); धार्मिक एवं पर्यटन स्थल बाड़ीधार में इस सीजन की पहली बर्फबारी हुई। बारिश के लंबे इंतजार के बाद हुई बारिश व बर्फबारी क्षेत्रवासियों को आनंदित कर रही है। साथ ही बाड़ीधार में हो रही बर्फबारी से किसानों के चेहरों पर खुशी की झलक देखने को मिली। बाड़ीधार में देवदार, बान के घने जंगल हैं। बर्फबारी के बाद ढकी यह वादियां काफी खूबसूरत हो गई हैं।
बाड़ीधार को पांडवों की तपस्थली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि पांडवों ने इस जगह पर अज्ञात वास के दौरान भगवान भोलेनाथ की तपस्या की थी। लोग बाड़ादेव को अपनी फसलों का रक्षक और इष्ट मानते हैं। इस जगह को लेकर लोगों में कई जन श्रुतियां भी विख्यात हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 25 दिसम्बर के बाद बाड़ीधार पर बर्फ की चादर बिछ जाती है। इस बार लोगों को थोड़ा लम्बा इंतजार करना पड़ा है। बर्फबारी होने पर यहाँ लुत्फ उठाने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी राज्यों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। बारिश और बर्फबारी से इस जगह के कई परंपरागत जलस्रोत जल से भर गए हैं।
पर्यटन की दृष्टि से भी इस धार्मिक स्थल को विकसित किया जाना अभी बाकी है। सूखे की स्थिति के बाद बारिश और बर्फबारी से किसानों तथा बागवानों को भारी राहत मिली है। इस क्षेत्र में परंपरागत फसलों गेहूं, सरसों, पलम, नाशपाती, खुमानी और अखरोट के अलावा अब सेब की विभिन्न प्रजातियों का उत्पादन होने लगा है। ताजा बर्फबारी सेब के लिए फायदेमंद माना जा रही है।
लोगों के अनुसार अगर दिसंबर और जनवरी माह में बारिश या हिमपात हो तो गर्मियों में पानी की किल्लत नहीं होती। किसानो में नरपत त्यागी, अमर सिंह ठाकुर, भुनेश ठाकुर, बेलीराम ठाकुर, कृष्ण चंद चौधरी, लाल चंद ठाकुर, राकेश तनवार, खेम राज ठाकुर, राम सिंह चंदेल, बनित, विनोद तनवार, मेहर चंद ठाकुर और जगदीश ठाकुर आदि का कहना है इस बारिश से गेंहू की फसल को खाद का रूप मिलेगा व आगे फसल अच्छी होने के उमीदें है।