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पंचांग

शनिवार का पंचांग: बसंत पंचमी पर जानें आज का नक्षत्र, शुभ मुहूर्त और राहुकाल

February 05, 2022 09:45 AM
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हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए शनिवार का पंचांग

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

शनिवार का पंचांग

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।

शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।

शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।

शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2078, * शक संवत – 1943, * कलि संवत 5123* अयन – उत्तरायण, * ऋतु –शरद ऋतु, * मास – माघ माह, * पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुंभ, मीन।

तिथि (Tithi)- पंचमी, बसंत पंचमी, 3.46 AM 6 फरवरी तक

तिथि का स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है।

आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि अर्थात बसंत पंचमी का पर्व है । पंचमी तिथि शनिवार, 5 फरवरी को प्रात: 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन रविवार, 6 फरवरी को प्रात: 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी।

शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले किया जाना बहुत ही शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट. यानि 5 घंटे 28 मिनट तक का रहेगा।

27 साल के बाद चंद्रमा मीन राशि में होने की वजह से इस बार की बसंत पंचमी बेहद शुभ मानी जा रही है।

बसंत पंचमी पर सिद्ध, साध्य और रवि योग के त्रिवेणी योग में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाएगी।

बसंत पंचमी मां सरस्वती की पूजा का दिन है इस दिन इस को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बसंत पंचमी के मौके पर सरस्वती माता का आगमन पृथ्वी पर हुआ था।

बसंत पंचमी को पीले पुष्पों से मां सरस्वती की पूजा की जाती है, उन्हें पीले वस्त्र भेंट किए जाते हैं। बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व है। इसीलिए इस दिन पीले वस्त्र पहनने की भी परंपरा है।

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महा सरस्वत्यै नम:” ॥

माना जाता है कि इसी दिन से बंसत ऋतु का आरंभ होता है। सर्दी का जाना शुरू हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी का दिन दोषमुक्त है, इस दिन अनबूझ मुहूर्त माना गया है, जिसके चलते जिन जोड़ों के विवाह का मुहूर्त नहीं निकल रहा है, वह भी इस दिन शादी कर सकते है ।

आज का दिन शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नए कार्य की शुरूआत, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं तो उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तर भाद्रपद सांय 16.09 PM तत्पश्चात रेवती

नक्षत्र के स्वामी :- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। यह प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।

शनि और गुरु में शत्रुता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु का प्रभाव रहता है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धार्मिक, कुशल वक्ता, यशस्वी, परोपकारी और धनवान होते है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को सन्तान पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है। इनका पारिवारिक जीवन भी सुखमय रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए, इनको पीपल की सदैव / विशेषकर शनिवार को तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक क्या हैं 6 और 8, भाग्यशाली रंग बैगनी तथा भाग्यशाली दिन गुरुवार, मंगलवार और शुक्रवार होता है ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

योग(Yog) – सिद्द 17.42 PM तक तत्पश्चात साध्यप्रथम करण : – बव 15.40 PM तकद्वितीय करण : – बालव 3.46 AM, रविवार 6 फरवरी तक

गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।

देवताओं की पानी है कृपा तो उन्हें चढ़ाएं ये पुष्य, जानिए किस देवी, देवता को कौन सा पुष्य चढ़ाना चाहिए

राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 07:10

सूर्यास्त – सायं 17:59

विशेष :- पंचमी को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए।

पढ़ाई में श्रेष्ठ सफलता के लिए बसंत पंचमी के दिन अवश्य ही करें ये उपाय

पर्व त्यौहार- बसंत पंचमी

आज का शुभ मुहूर्त 5 फरवरी 2022 :

विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 9 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक। अमृत काल सुबह 11 बजकर 19 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। रवि योग शाम को 04 बजकर 09 मिनट से अगले दिन सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 5 फरवरी 2022 :

राहुकाल सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दोपहर में 01 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 30 तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। पंचक पूरे दिन रहेगा।

आज के उपाय : आज बसंत पंचमी है। पीले वस्त्र धारण करके मां सरस्वती की पूजा करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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