गुरुवार का पंचांग : 10 फरवरी 2022 : आज गुप्त नवरात्र का समापन, जानें शुभ मुहूर्त कब से कब तक..
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति) गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें। इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है। और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है। गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
*विक्रम संवत् 2078, * शक संवत – 1943, *कलि संवत 5123* अयन – दक्षिणायण, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – माघ माह* पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,
तिथि (Tithi) :- नवमी 11.08 AM तक तत्पश्चात दशमी
तिथि का स्वामी – नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा और दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है। नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी है । नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा जी हैं ऎसे में जातक को दुर्गा जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा जी को लाल पुष्प अर्पित करके अपने जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना करे।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
शुक्ल पक्ष की नवमी में भगवान शिव का पूजन करना वर्जित है लेकिन कृष्ण पक्ष की नवमी में शिव का पूजन करना उत्तम माना गया है।
हिंदू पंचाग की नौवीं तिथि नवमी (navami) कहलाती है। इस तिथि का नाम उग्रा भी है क्योंकि इस तिथि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। किसी भी प्रकार के युद्ध में विजय पाने के लिए ये तिथि अनुकूल मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू नहीं खाना चाहिए।
नक्षत्र (Nakshatra)– रोहिणी
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है । रोहिणी नक्षत्र, नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर है तथा चंद्रमा का केंद्र माना जाता है। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है। इसे आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है। यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है।रोहिणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष जामुन और स्वभाव शुभ माना गया है ।
पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है।
इस नक्षत्र के जातक पतले, मिलनसार, दृढ़ निश्चयी, बुद्धिशाली, यशवान, ललित कलाओं के प्रेमी, ईश्वर में आस्था रखने वाले, किन्तु झूठ बोलने वाले, स्वार्थी होते है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ सुंदर, भाग्यशाली, पति से प्रेम करने वाली, माता-पिता की आज्ञाकारी, योग्य संतान वाली और ऐश्वर्यवान होती है।
रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3, 6 और 9, भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला तथा भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार है।
आज रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ ऋं ऊँ लृं” अथवा “ॐ रौहिण्यै नमः” l का 108 बार जाप करें इससे रोहिणी नक्षत्र को बल मिलेगा।
रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, का दान करना चाहिए।
योग :- इंद्र 18.50 तक तत्पश्चात वैधृति
प्रथम करण :- कौलव 11.08 AM तक
द्वितीय करण :- तैतिल
दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
सूर्योदय – प्रातः 07:07
सूर्यास्त – सायं 18:04
विशेष – शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू नहीं खाना चाहिए।
आज का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी 2022 : विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 12 बजकर 9 मिनट से 1 बजकर 1 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 5 बजकर 57 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक। उसके बाद रात को 3 बजकर 44 मिनट से सुबह के 5 बजकर 20 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 10 फरवरी 2022 : राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिककाल रहेगा। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल रात को 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। भद्रा सुबह 7 बजकर 3 मिनट से रात को 1 बजकर 34 मिनट तक।
आज के उपाय : आज बृहस्पतिवार है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और केले के पेड़ को जल चढ़ाएं।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।