हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव जाखू शिमला में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, इस बार हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल 2022, शनिवार को है। शास्त्रों के अनुसार आज भी पृथ्वी पर हनुमान जी का वास है। इस दिन कुछ विशेष उपाय कर आप ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर कर सकते हैं।
शिमलाः (हिमदर्शन समाचार); भारतवर्ष में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल हिमांचल प्रदेश के प्राचीन मन्दिर जाखू में हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल 2022 को मनाया जा रहा है। जन्मोत्सव आप सभी सह-परिवार सादर आमंत्रित है।
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का प्राकट्य हुआ था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि हनुमान जी का अवतरण छोटी दीपावली के दिन हुआ था, इस दिन भी हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार आज भी पृथ्वी पर हनुमान जी का वास है। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन कुछ विशेष उपाय कर आप ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर कर सकते हैं। इतना ही नहीं शिक्षा, व्यापार व नौकरी के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भी हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन हनुमान जी के भक्त पूरे दिन बजरंगबली की भक्ति में लीन रहते हैं और सुंदरकांड का पाठ करते हैं।
हनुमान जयंती 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है, इस बार हनुमान जयंती 16 अप्रैल 2022, शनिवार को है। पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल 2022, शनिवार को प्रात: 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर देर रात्रि 12 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
हनुमान जयंती 2022 – 16 अप्रैल 2022, शनिवार
पूर्णिमा तिथि का आरंभ – 16 अप्रैल 2022, भोर में 2:26 से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – रात्रि 12 बजकर 22 मिनट तक
शास्त्रों की मानें तो आज भी बजरंगबली धरती पर वास करते हैं, मां जानकी ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया था। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, लेकिन ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय राम दरबार का पूजन अवश्य करें। क्योंकि राम जी की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो इस दिन बजरंगबली की पूजा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देने व पूजन करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है।
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