सभी देशवासियों को रामनवमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं । भगवान श्री राम की कृपा आप सभी पर बनी रहें।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
* इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
रविवार का पंचांग
10 अप्रैल 2022
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2079, * शक संवत – 1944, *कलि संवत 5124* अयन –उत्तरायण, * ऋतु – बसंत ऋतु, * मास – चैत्र माह* पक्ष – शुक्ल पक्ष* चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,
तिथि (Tithi)- नवमी
तिथि के स्वामी :- नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी है।
नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और मनोहारी है, मां की चार भुजाएं हैं।
मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख सुशोभित है। माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।
मां सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाया जाता है। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि की नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
आज कन्या पूजन के साथ ही नवरात्री के नौ दिनों के ब्रत का समापन हो जायेगा, अगर कोई व्यक्ति नवरात्री का ब्रत ना भी रख पाए तो भी हर हिन्दू को यथासंभव नवरात्री में अपने घर पर कन्या पूजन अवश्य ही करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार घर पर कन्या पूजन से समस्त वास्तु, ग्रह जनित दोष समाप्त हो जाते है घर में सुख – शांति और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होगी है।
आज रामनवमी का महा पर्व है । रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री विष्णु जी ने अपने सातवें अवतार मृत्यु लोक में मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी के रूप में अवतरण लिया था।
चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में प्रभु श्री राम चन्द्र जी का जन्म रानी कौशल्या, राजा दशरथ के घर उनकी संतान के रूप में हुआ था।
मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा विधि विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और और सौभाग्य की प्राप्ति होती है । इस बार त्रिवेणी, रवि पुष्प, सुकर्मा और श्रीवस्त योग का अति शुभ संयोग बना है, ऐसा संयोग काफी सालों बाद बना है।
राम नवमी के दिन प्रात: स्नान करने के पश्चात भगवान श्री राम जी का कच्चे दूध या पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें पीले चन्दन या हल्दी से तिलक करके, पीला जनेऊ, पुष्प, पान, सुपारी, फल, मिठाई अर्पित करें तथा धूप एवं घी का दीपक जलाएं।
इस दिन अधिक से अधिक “ऊं रां रामाय नम:” मन्त्र का जाप करें, हनुमान चालिसा का पाठ करें । इसके बाद श्रीराम स्त्रोत या सुंदरकांड का पाठ भी करें इससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते है।
राम नवमी के दिन मंदिर में जाकर राम दरबार के दर्शन अवश्य करें ।
रामनवमी 2022- 10 अप्रैल, 2022, दिन रविवार
रामनवमी तिथि का प्रारम्भ- 10 अप्रैल 2022 प्रात: 1 बजकर 32 मिनट से
रामनवमी तिथि की समाप्ति- 11 अप्रैल 2022 प्रात: 3 बजकर 15 मिनट तक
शुभ मुहूर्त- 10 अप्रैल 2022, 11 बजकर 10 मिनट से 01:32 मिनट तक
नक्षत्र (Nakshatra)- – पुष्य नक्षत्र
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पुष्य नक्षत्र के देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव जी है ।
आज अति शुभ रवि पुष्य नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा भी कहते है, उसमें भी रवि पुष्य नक्षत्र एवं गुरु पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ माने जाते है। इस अवसर पर किया गया शुभ कार्य अति लाभ दायक और चिरस्थाई होता है।
पुष्य नक्षत्र का नक्षत्र आराध्य वृक्ष: पीपलं तथा नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना जाता है।
शास्त्रों में लिखा है कि पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य पुष्टिदायक, सर्वथा सिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते हैं । पुष्य नक्षत्र के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त, श्री महा लक्ष्मी अष्टकम का पाठ करना अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक सुन्दर, शांत, महत्वाकांक्षी, साहसी, सुखी, भोगी, लोकप्रिय, बुद्धिमान, परोपकारी, कड़ी मेहनत करने वाले तथा पुत्र मित्रादि से युक्त होता है।
लेकिन पुष्य नक्षत्र के लोग स्वार्थी, अत्यधिक बोलने वाले, जिद्दी, घमंडी, कट्टरपंथी और अत्यधिक संवेदनशील भी होते हैं।
पुष्य नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 2, भाग्यशाली रंग लाल, नीला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और बुधवार होता है ।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ बृहस्पतये नम: “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग (Yog) – सुकर्मा 12.04 PM तक तत्पश्चात धृतिप्रथम करण : – बालव 2.23 PM तकद्वितीय करण : – कौलवगुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
सूर्योदय – प्रातः 05:59
सूर्यास्त – सायं 18:46
विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । नवमी को लौकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
पर्व त्यौहार- रामनवमी, माँ सिद्धिदात्री की आराधना,
आज का शुभ मुहूर्त (Muhurt) – रवि पुष्य नक्षत्र
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 12 बजे से 12 बजकर 45 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 06 बजकर 31 मिनट से 06 बजकर 55 मिनट तक। अमृत काल मध्यरात्रि 11 बजकर 50 मिनट से 01 बजकर 35 मिनट तक। सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि पुष्य योग और रवि योग पूरे दिन रहेगा।
आज का अशुभ मुहूर्त 10 अप्रैल 2022 :राहुकाल शाम 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर 03 बजकर 30 मिनट से 04 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल शाम 05 बजकर 02 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
आज के उपायः मां दुर्गा के साथ भगवान राम की पूजा करें और रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।