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धर्म/संस्कृति

बगलामुखी जयंती 2022: आज मां बगलामुखी जयंती पर पढ़ें माता की उत्पत्ति की रोचक कथा, जानें पूजा की विधि और महत्व..

May 09, 2022 01:00 PM
Om Prakash Thakur

बगलामुखी जयंती 2022: मां बगलामुखी जयंती पर पढ़ें माता की उत्पत्ति की रोचक कथा, जानें पूजा की विधि और महत्व..

शिमलाः (हिमदर्शन समाचार); आज यानी 09 मई 2022, दिन सोमवार को मां बगलामुखी जयंती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है। इस दिन विधि विधान से देवी बगलामुखी की पूजा की जाती है। मां बगलामुखी देवी दुर्गा का अवतार हैं। मां बगलामुखी अलौकिक सौंदर्य और शक्ति का संगम मानी जाती हैं। इन्हें पीतांबरा, बगलामुखी, बगला और कुंडली जागृत करने वाली महाविद्या के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और हर संकट दूर होता है। धर्म शास्त्रों में भी शत्रुओं से बचने के लिए मां बगलामुखी की पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि 09 मई को मां बगलामुखी की आराधना का शुभ मुहूर्त कब है और पूजा विधि के बारे में.....

माँ बगलामुखी जी के शुभ श्रृंगार दर्शन, बनखंडी, काँगड़ा, हिमाचल.

मां बगलामुखी पूजा-विधि

देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत ही प्रिय है। ऐसे में देवी बगलामुखी जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। जिस स्थान पर पूजा करनी है वहां गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी रखकर मां बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हाथ में पीले चावल, हल्दी, पीले फूल और दक्षिणा लेकर माता बगलामुखी व्रत का संकल्प करें। साथ ही देवी को खड़ी हल्दी की माला पहनाएं। पीले फल और पीले फूल चढ़ाएं। पीले रंग की चुनरी अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती लगाएं। फिर पीली मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं। वहीं अगले दिन पूजा करने के बाद ही भोजन करें।

इन मंत्रों का करें जाप ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:

इस मंत्र को मां का विशेष मंत्र माना जाता है। मां के इस मंत्र का जप करने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर:

इस मंत्र को मां बगलामुखी का भय नाशक मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र के जप से भय दूर हो जाता है। जिन लोगों को किसी भी चीज से डर लगता है, उन्हें नियमित मां बगलामुखी के इस भयनाशक मंत्र का जप करना चाहिए।

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

इस मंत्र को मां बगलामुखी का शत्रु नाशक मंत्र कहा जाता है। जिन व्यक्तियों को अपने शत्रुओं से भय रहता है उन्हें इस मंत्र का जप करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस मंत्र का नियमित जप करते हैं, उनका शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं। इस मंत्र के नियमित जप से मां बगलामुखी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीतांबरे तंत्र बाधां नाशय नाशय

मां बगलामुखी का यह मंत्र काफी प्रभावशाली है। इस मंत्र को जादू-टोना नाशक मंत्र कहा जाता है। जिन जातकों पर भूत-प्रेत या कोई बुरा साया होता है, उन्हें इस मंत्र का नियमित जप करना चाहिए। इस मंत्र के जप करने से व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है और उसके ऊपर से भूत-प्रेत का साया हट जाता है।

भयंकर तूफान का नाश करने के लिए मां बगलामुखी हुई थीं प्रकट, पढ़ें बगलामुखी जयंती की कथा..

जब-जब ब्रह्मांड में कोई संकट आया, देवी-देवताओं ने प्रकट होकर उसे अपनी शक्ति से दूर किया। पौराणिक ग्रंथों में दशमहाविद्या यानी दस महान विद्या रूपी देवियों का जिक्र मिलता है। इन्हें पार्वती देवी के दस रूपों के रूप में जाना जाता है। इनमें से एक हैं, मां बगलामुखी। कहते हैं कि मां बगलामुखी भयंकर तूफान को रोकने के लिए धरती पर प्रकट हुई थीं। जिस दिन उनका धरती पर प्राकट्य हुआ, उस दिन मां बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। मां के भक्त हर साल हिंदू मास वैशाख के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाते हैं। इस साल ये पर्व 9 मई को है। मां बगलामुखी का धरती पर अवतरण कैसे हुआ था? मां बगलामुखी जयंती क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है? पढ़ें यह पौराणिक कथा।

सतयुग की बात है। एक बार पूरे ब्रह्मांड में एक भयंकर तूफान उठा। वो तूफान इतना शक्तिशाली था कि उसके प्रभाव से समस्त प्राणी जगत का नाश हो जाता। इस तूफान से सभी लोकों में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु को जग के पालनहार के रूप में माना जाता था। सभी देव और ऋषि-मुनि विष्णुजी के पास पहुंचे। उन्होंने भगवान विष्णु से इस भयंकर तूफान को रोकने के लिए कोई उपाय करने का आग्रह किया।

इस समस्या से विष्णुजी चिंतित हो गए। वह खुद अकेले इस शक्तिशाली तूफान का मुकाबला नहीं कर सकते थे। इसलिए वह धरती पर आए और सौराष्ट्र देश (वर्तमान के गुजरात) में स्थित हरिद्रा नाम के एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां विष्णुजी ने भगवती को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप शुरू किया।

विष्णुजी के तप से हरिद्रा सरोवर का पानी हल्दी की तरह पीले रंग में तब्दील हो गया। कुछ समय बाद सरोवर से बगलामुखी के रूप में श्रीविद्या प्रकट हुईं। विष्णुजी ने उन्हें समस्या बताई। मां बगलामुखी ने शक्तिशाली तूफान का मुकाबला किया और उसका नाश कर दिया।

इस तरह मां बगलामुखी ने समस्त प्राणी जगत को नष्ट होने से बचा लिया। सरोवर के पानी का रंग पीला होने के चलते मां बगलामुखी को पीतांबरा देवी भी कहा जाता है। मां बगलामुखी जयंती पर देवी की खास उपासनी की जाती है। भक्त मानते हैं कि इस दिन मां की उपासना करने से बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है।

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