दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले 12 हजार के पार
Monkeypoxmeter.com के डेटा के मुताबिक, अब तक 76 देशों में 12, 701 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से यूरोप में सबसे ज्यादा 9, 708 लोग मंकीपॉक्स की चपेट में आए हैं। वहीं, बीमारी से ग्रस्त टॉप 10 देशों में ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड्स, इटली और बेल्जियम शामिल हैं। मंकीपॉक्स से इस साल तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि दूसरा मरीज 31 साल का युवक है। वह दुबई से मेंगलुरु एयरपोर्ट पर 13 जुलाई को आया था। इससे पहले 35 साल का मरीज संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से कोल्लम पहुंचा था। जांच के बाद उसमें भी लक्षण पाए गए थे।
जॉर्ज ने बताया कि दो केस सामने आने के बाद राज्य के पांच जिलों तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलाप्पुझा और कोट्टायम को हाईअलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि मरीजों का संपर्क इन जिलों से रहा है। इधर, दुबई से लौटे दूसरे मरीज को इलाज के लिए परियाराम मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है। उसके संपर्क में आए लोगों की भी जांच की जा रही है।
केंद्र सरकार रख रही यात्रियों पर नजर
मंकीपॉक्स को तेजी से फैलता देख केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है। पहला केस मिलने के बाद हेल्थ मिनिस्ट्री ने शुक्रवार को जरूरी दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें विदेश से आने वाले यात्रियों की टेस्टिंग, मरीज के संपर्क में आए लोगों की निगरानी और इलाज करने की प्रक्रिया का भी जिक्र है।
यात्रा करने वालों के लिए गाइडलाइन
विदेश से लौटे यात्रियों को बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचना होगा।
उन्हें जिंदा या मृत जंगली जानवरों और चूहे, गिलहरी, बंदरों के संपर्क में आने से बचना होगा।
यात्रियों को जंगली जानवरों का मीट न खाने और अफ्रीका के जानवरों से बनी क्रीम, लोशन और पाउडर जैसी चीजों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है।
बीमार लोगों या संक्रमित जानवरों के संपर्क में आए बिस्तर व कपड़ों से दूर रहना होगा।
आइए जानते है क्या है मंकीपॉक्स और उसके लक्षण
दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक नई बीमारी ने दस्तक दी है । कई यूरोपीय देशों में ' मंकीपॉक्स ' नामक बीमारी का संक्रमण बढ़ता नजर आ रहा है । ब्रिटेन , कनाडा , पुर्तगाल , स्पेन और अमेरिका को मिलाकर पिछले 3 हफ्तों में अब तक मंकीपॉक्स के 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं । अमरीकी स्वास्थ विभाग ने जानकारी दी है कि अमेरिका के मैसाचुएट्स में रहना वाला एक आदमी जो मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया है , वो कुछ दिनों पहले कनाडा से लौटा था ।
राहत की बात ये है कि इस बीमारी से संक्रमित होने के कुछ हफ्तों बाद व्यक्ति अपने आप ठीक हो जाता है । गंभीर संक्रमण के मामले बहुत कम पाए गए है । फिर भी एक महीने के भीतर 5 से ज्यादा देशों से आए मंकीपॉक्स के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है । इसलिए , विश्व स्वास्थ संगठन ( WHO ) ने मंकीपॉक्स के सम्बन्ध में गाइडलाइन्स जारी करते हुए कहा है कि संदिग्ध या पुष्ट मंकीपॉक्स वायरस वाले रोगियों की देखभाल करने वाले या उनके नमूनों को संभालने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण नियंत्रण सावधानियों का पालन करना चाहिए ।
क्या है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और हल्का संक्रमण है , जो आमतौर पर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में संक्रमित जंगली जानवरों से पकड़ा जाता है । इसका वायरस पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था , इसलिए अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ( CDC ) के मुताबिक इसका नाम ' मंकीपॉक्स ' रखा गया । इंसानों में इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में सामने आया था । ऐसा माना जाता है कि दुनिया में मंकीपॉक्स अफ्रीका से फैला है । 2003 से 2018 के बीच अमेरिका , ब्रिटैन , नाइजीरिया , सिंगापुर और इजराइल आदि देशों में इसके कई मामले देखने को मिले थे ।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ?
आमतौर पर मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों के खून , शरीर का के पसीना या मल - मूत्र आदि तरल पदार्थों के सीधे सम्पर्क में आने से फैलता है । गिलहरियों और चूहों में भी इसका संक्रमण पाया जा चुका है , इन जानवरों का अधपका मांस से उससे बने हुए उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा रहता है । संक्रमित इंसानों से इंसान में मंकीपॉक्स फैलने के बहुत कम मामले सामने आए है । लेकिन , संक्रमित व्यक्ति को छूने या उसके संपर्क में आने से इसके फैलने का खतरा बना रहता है ।
क्या हैं इसके लक्षण ?
यदि आप मंकीपॉक्स से संक्रमित हो जाते हैं , तो आमतौर पर प्राथमिक लक्षणों का असर दिखने में पांच से 21 दिनों के बीच का समय लगता है । इनमें बुखार , सिरदर्द , मांसपेशियों में दर्द , पीठ दर्द , ग्रंथियों में सूजन , कंपकंपी और थकावट शामिल हैं । इन लक्षणों का अनुभव करने के एक से पांच दिन बाद आमतौर पर दाने दिखाई देते हैं । ये दाने शुरुआत में खसरा या चेचक जैसे दिखते है । ये दाने संक्रमण के पहले और दूसरे हफ्ते में हाथ - पैर से लेकर पूरे शरीर पर फैल सकते हैं । अगर संक्रमण गंभीर नहीं होता , तो ये दाने खुद सूखकर गिर जाते हैं ।
इस बीमारी से किसको कितना खतरा ?
अमरीकी स्वास्थ्य मंत्रालय की हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट की माने तो ये बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं है , किन्तु इससे संक्रमित हर 10 वें व्यक्ति की मौत हो सकती है । खासकर जंगली क्षेत्रों के आस - पास रहने वाले या जानवरों का अधपका मांस खाने वाले व्यक्तियों को इससे खतरा ज्यादा है । छोटे बच्चों को इससे ज्यादा खतरा हो सकता है । हालांकि , भारत में इसका एक भी मामला अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन देश के शीर्ष स्वास्थ संगठनों और विशेषज्ञों द्वारा सावधानी बरतने के निर्देश दिए जा चुके हैं ।
क्या है इसका इलाज ?
फिलहाल संक्रमण से बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है । विश्व स्वास्थ संगयठन के मुताबिक अभी तक इसका कोई ठोस इलाज दुनिया में उपलब्ध नहीं है । कहा जा रहा है कि चेचक में काम आने वाले वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में 80-85 प्रतिशत असरदार साबित हुई है । लेकिन , चेचक के खत्म होने के बाद से ये वैक्सीन भी बाजारों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है ।