अपने पढ़ाए हुए एक छात्र को जिला कलक्टर की कुर्सी पर आसीन देख खुशी से गद्गद् एक मास्टर साहब कलक्टर से मिलने सभा में पहुंच गए, लेकिन गनमैन ने रोक दिया। हालांकि जैसे ही जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल को गुरुजी के बाहर खड़े होने का पता चला तो वे दौड़े चले गए और गुरुजी को भाव-विभोर होकर गले लगाया।
साथ ही अतीत के झरोखे में खो गए। कुछ देर तक वहां मौजूद अधिकारी और लोग कलक्टर की सदाशयता को देखकर अचम्भित रह गए। वहीं गुरुजी का मन भी प्रफुल्लित हो गया। 
हुआ यूं कि बसेड़ी गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कलक्टर जायसवाल बैठक ले रहे थे। इस दौरान तिमासिया निवासी 8 5 वर्षीय गुरुजी मुरारीलाल श्रीवास्तव सभाकक्ष के दरवाजे पर पहुंचे तो गनमैन ने उन्हें रोक दिया। जब बताया कि कलक्टर को उन्होंने पढ़ाया है तो थोड़ी देर में गनमैन ने जिला कलक्टर को उनके बारे में अवगत कराया। इतना सुनते ही कलक्टर बैठक छोड़कर सभा कक्ष के बाहर आए और गुरु के पैर छुए आशीर्वाद लिया। गुरुजी ने कलक्टर को सीने से लगा लिया। इस दौरान श्रीवास्तव ने कहा कि आज उनके द्वारा पढ़ाया गया एक छात्र को जब जिला कलक्टर के रूप में देखा तो मन गदगद हो गया। जिसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। 
वहीं कलक्टर का कहना था कि गुरुजी को देखकर असीम आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हुई। पुराना समय याद आ गया। मेरे पिताजी कन्हैया लाल जायसवाल तहसीलदार के पद पर कार्यरत थे, तब गुरुजी कक्षा आठवीं में मुझे घर पर पढ़ाने आते थे। काफी तेजतर्रार और अनुशासन में रहने और रखने वाले शिक्षक थे। आज अनुशासन की भावना प्रशासन के ऐसे पद को पाने के पीछे ऐसे गुरुजनों का आशीर्वाद और शिक्षा मिली। जिसकी बदौलत आज कलक्टर के पद पर हूं। मुझे गुरु से मिलकर खुशी हुई।
