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हिमाचल | शिमला

मिशन हिमाचल के पीछे कौन ? कांग्रेस के एक पूर्व सीएम, दो शाही घराने, हिमाचल के सियासी बवंडर में कितने किरदार ? जानिए विस्तार से..

March 03, 2024 11:17 AM
File Photo

उत्तर भारत में कांग्रेस की एकमात्र बची सरकार पर आई आफत फिलहाल तो किसी तरह टल हुई है। लेकिन, हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की जो फजीहत हुई है, उससे पार्टी आसानी से उबर नहीं पाएगी। यूं तो इस पूरे घटनाक्रम के कई किरदार रहे हैं, लेकिन सबका कनेक्शन कहीं न कहीं कांग्रेस के ही अतीत और वर्तमान से ही जुड़ा नजर आ रहा है।

इंडिया टुडे टीवी ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट दी है कि इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह रहे हैं।

दो शाही घरानों ने मिलकर ये खेल !

इस घटनाक्रम को अंजाम देने में कांग्रेस से ही जुड़े रहे दो शाही परिवारों का भी नाम बता जा रहा है। पहले तो खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह का ही परिवार है, जो पंजाब के पटियाला शाही परिवार से ताल्लुक रखता है। वहीं दूसरे हिमाचल के कांग्रेस नेता और मंत्री विक्रमादित्य सिंह का भी नाम है, वहां के एक शाही परिवार से आते हैं।

बता दें कि हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने अपनी ही सरकार में 'अपमानित' महसूस होकर और पिता की उपेक्षा की पीड़ा में मंत्री पद से इस्तीफे की भी पेशकश तक कर चुके हैं।

अमरिंदर और वीरभद्र का परिवार भी आपस में जुड़ा हैदिलचस्प बात ये है कि वीरभद्र सिंह की पांच बेटियों में से एक अपराजिता सिंह का विवाह अंगद सिंह से हुआ है, जो अमरिंदर सिंह के नाती हैं। अंगद की मां जय इंदर कौर अमरिंदर सिंह की बेटी हैं।

कांग्रेस से बहुत ही असहज स्थिति में निकले थे कैप्टन

रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल के शाही परिवार से रिश्ते की वजह से कैप्टन को यह टास्क निभाने की जिम्मेदारी मिली थी, जो अब भाजपा में आ चुके हैं। एक दशक से ज्यादा समय तक कांग्रेस में रहने के बाद उन्होंने बहुत ही 'अपमानजनक' परिस्थितियों में 2021 में पार्टी छोड़ दी थी।

अमरिंदर को क्यों दी गई मिशन हिमाचल की जिम्मदारी ?

इस बात की जानकारी देने वाले शख्स ने अपना नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर कहा है, 'पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते और हिमाचल के शाही परिवार से संबंधों को देखते हुए वे इस कार्य के लिए पार्टी के सटीक पसंद बन गए।'

सूत्रों ने तो यहां तक बताया है कि कांग्रेस के 6 बागी विधायकों के लिए समय-समय पर चॉपर का भी इंतजाम कैप्टन नहीं करवाया, जिनकी क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का राज्यसभा में वापस पहुंचने का सपना टूट गया।

रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में अमरिंदर सिंह की दिलचस्पी की भनक कांग्रेस को भी थी और उसने इसे रोकने की योजना भी तैयार की थी, लेकिन समय रहते धरातल पर किसी तरह का कदम क्यों नहीं उठा नहीं पाई, यह बड़ा सवाल है।

राज्य विधानसभा के स्पीकर ने कांग्रेस के उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि राज्यसभा चुनाव से महिनों पहले भाजपा को यह महसूस हो चुका था कि विक्रमादित्य सिंह और उनका परिवार पार्टी में खुद को अलग-थलग समझ रहा है।

विक्रमादित्य सिंह के मन में क्या है, भाजपा को लग चुकी थी भनक?

राज्य विधानसभा के स्पीकर ने कांग्रेस के उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि राज्यसभा चुनाव से महिनों पहले भाजपा को यह महसूस हो चुका था कि विक्रमादित्य सिंह और उनका परिवार पार्टी में खुद को अलग-थलग समझ रहा है।

कथित रूप से विक्रमादित्य की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी रही है। वहीं प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह की तो दावेदारी भी रही ही है। विक्रमादित्य 22 जनवरी को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी पहुंचे थे और यूपी सरकार ने उन्हें शासकीय मेहमान बनाया था। जबकि, कांग्रेस पार्टी ने भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में अमरिंदर सिंह के इस खेल की भनक कांग्रेस को भी थी और उसने इसे रोकने की योजना भी तैयार की थी, लेकिन समय रहते धरातल पर किसी तरह का कदम क्यों नहीं उठा नहीं पाई, यह बड़ा सवाल है..!!

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