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धर्म/संस्कृति

गुरु नानक जयंती आज, जानिए उनके जीवन संदेश, जो दिखाते हैं जीवन जीने की सही राह..

November 19, 2021 08:18 AM
Om Prakash Thakur

गुरु नानक जयंती 2021: सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की 552वीं जयंती 19 नवंबर को आज देश -विदेश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी। इस सुअवसर पर आयोजित होने वाली सभाओं में गुरु नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है और गुरु ग्रंथ साहिब पाठ किया जाता है। गुरुद्वारों में आज के पूरे दिन सेवा और भक्ति का संगम चलता है। इस मौके पर आपको बताते हैं गुरुनानक देव जी द्वारा दिए गए जीवन के संदेशों और शिक्षाओं के बारे में, पढ़े पूरी खबर.. 

शिमला : (हिमदर्शन समाचार); गुरु नानक जयंती 19 नवंबर (शुक्रवार) को है। दुनिया को भाईचारे और मानवता का असल मतलब समझाने में अपना पूरा जीवन त्यागने वाले सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 वर्ष करतारपुर साहिब में बिताए थे। पाकस्तिान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के पास स्थित तलवंडी गांव, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, में 1469 ईसवी में जन्मे गुरु नानक ने मानवता की भलाई में हर तरह से योगदान दिया। गुरु नानक देव जी के जीवनवृत पर शोध करने वाली डॉ. मनजीत कौर बताती हैं कि गुरु नानक देव जी का बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता था। वह शुरू से ही अध्यात्म और ईश्वर की प्राप्ति में रुचि रखते थे।

एक दिन उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए पंडित जी के पास भेजा तो पंडित जी ने उन्हें ओम लिखने के लिए कहा, लेकिन गुरु साहिब ने ओम के आगे अंकों में एक लिख दिया, जिसके पीछे उनका भाव यह बताना था कि ईश्वर एक है। एक बार कुछ लोगों ने गुरु नानक देव से पूछा कि हमें यह बताइए कि आपके अनुसार हिंदू बड़ा है या मुसलमान तो गुरु साहिब ने उत्तर दिया, 'अवल अल्लाह नूर उपाइया कुदरत के सब बंदे, एक नूर से सब जग उपजया कौन भले कौन मंदे। यानी सब इंसान ईश्वर के पैदा किए हुए हैं, न तो हिंदू कहलाने वाला भगवान की नजर में कबूल है, न मुसलमान कहलाने वाला। रब की निगाह में वही बंदा ऊंचा है जिसका अमल नेक हो, जिसका आचरण सच्चा हो।

गुरु साहिब ने यह भी कहा कि कर्मों के बिना दोनों का जीवन व्यर्थ है। गुरु नानक देव जी का करतारपुर साहिब से काफी जुड़ाव रहा। 1521 ईसवी में गुरु नानक देव जी अपनी धार्मिक यात्राओं को खत्म कर करतारपुर में बस गए और अपने जीवन के अंत तक यहीं रहे। इस दौरान उन्होंने मानवता को 'नाम जपो' यानी ईश्वर का नाम जपते रहने, 'किरत करने' यानी ईमानदारी से मेहनत कर आजीविका कमाने और 'वंड छको' यानी अपने पास मौजूद हर वस्तु/सामग्री को साझा करने के तीन मूल मंत्र दिए, जिसका आज न केवल सिख समुदाय, बल्कि दुनिया का हर एक धर्म अनुसरण करता है।

गुरु नानक देव जी ने न केवल शिक्षाएं दीं, बल्कि स्वयं भी इसका पालन किया। उन्होंने करतारपुर साहिब में बिताए अपने जीवन के आखिरी 18 वर्षों में खेतों में हल चला कर यह बताया कि हर इंसान को अपने जीवन में मेहनत करनी चाहिए। इसी तरह उन्होंने अपनी दिनचर्या में अकाल पुरख, प्रभु परमात्मा को हर समय अपने अंग-संग माना और उसका स्मरण किया। तीसरे सिद्धांत में उन्होंने हर चीज को साझा करना सिखाया, चाहे वो धन हो या भोजन।

आज भी गुरु नानक देव की शिक्षाएं सही रास्ते पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित करती हैं। उनके अनुयायी इन्हें नानक और नानक देव, बाबा नानक और नानक शाह जी जैसे नामों से संबोधित करते हैं। इस दिन प्रातः प्रभात फेरी निकाली जाती है और गुरुद्वारों में कीर्तन व लंगर का आयोजन किया जाता है। सिख धर्म के लोग इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाते हैं। गुरुनानक जी ने अपने उपदेशों से लोगों को जीवन की सही राह दिखाई।

गुरुजी की 10 शिक्षाएं

1- परम-पिता परमेश्वर एक है.

2- हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाओ.

3- दुनिया की हर जगह और हर प्राणी में ईश्वर मौजूद हैं.

4- ईश्वर की भक्ति में लीन लोगों को किसी का डर नहीं सताता.

5- ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए.

6- बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सताएं.

7- हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें.

8- मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें.

9- सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं.

10 - भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है. परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है.

गुरुनानक जयंती के पावन पर्व की लख, लख बधाइयां..

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