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पंचांग

शनिवार का पंचांग : 21 नवम्बर 2020, देखिए आज का शुभमुहूर्त व राहुकाल का समय

November 21, 2020 08:30 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए शनिवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

शनिवार का पंचांग

21 नवम्बर शनिवार 2020 का पंचांग, शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।

शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है।  

शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।

शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य* शक संवत – 1942, *कलि संवत 5122* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – कार्तिक माह* पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल –मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

तिथि (Tithi)- सप्तमी तिथितिथि का स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देव जी है।

सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें। सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए। सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है। सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।

सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है। सप्तमी की दिशा वायव्य मानी गयी है।

नक्षत्र (Nakshatra)- श्रवण – 09:54 AM तक तत्पश्चात धनिष्ठा

श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।  

श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं । श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

योग(Yog): वृद्धि – 06:44 AM तक तत्पश्चात ध्रुव 06:02 AM, 22 नवम्बर तक

प्रथम करण : – गर – 09:33 AM तक

द्वितीय करण : – वणिज – 09:48 PM तक

गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।

दिशाशूल - शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।

राहुकाल - सुबह – 9:00 से 10:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 06:54

सूर्यास्त – सायं 17:21

विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।

आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 15 मिनट से 05 बजकर 39 मिनट तक। अमृत काल मध्यरात्रि 12 बजकर 13 मिनट से 01 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 06 बजकर 49 मिनट से 09 बजकर 54 मिनट तक। द्विपुष्कर योग सुबह 09 बजकर 54 मिनट तक से रात्रि 09 बजकर 48 मिनट तक।  

आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 06 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 14 मिनट तक। वर्ज्य काल दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से लेकर 03 बजकर 47 मिनट तक। भद्रा रात्रि 09 बजकर 48 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक। पंचक काल रात्रि 10 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक।

आज के उपायः शन‍िदेव की उपासना करें और दिव्यांगजनों को यथाशक्ति दान करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो । 

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