हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
मंगलवार का पंचांग
29 दिसंबर 2020
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत – 1942*कलि सम्वत 5122*अयन – दक्षिणायन*ऋतु – शरद ऋतु*मास -मार्गशीर्ष माह*पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,
तिथि (Tithi)- चतुर्दशी – 07:54 AM तक तत्पश्चात पूर्णिमा
तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शंकर जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है।
प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा 29 / 30 दिसंबर को है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा स्नान और दान के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 29 दिसंबर को प्रात: 7.54 मिनट से शुरू होगी जो 30 दिसंबर को 8.58 बजे तक रहेगी।
माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। मान्यता है कि इस दिन गीता का पाठ करने से पितरों को स्वर्ग में स्थान मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन किये गए दान का फल अन्य पूर्णिमा की अपेक्षा 32 गुना अधिक मिलता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा कहा जाता है।
पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
पूर्णिमा के दिन श्री सूक्त, श्री महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ अति फलदाई है ।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
नक्षत्र (Nakshatra)- मॄगशिरा – 17:32 PM तक तत्पश्चात आद्रा
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है ।
नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है। यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।
मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।
योग : शुक्ल – 16:13 PM तक तत्पश्चात ब्रह्म
प्रथम करण : वणिज – 07:54 AM तक
द्वितीय करण : विष्टि – 20:30 PM तक तत्पश्चात बव
गुलिक काल : दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
दिशाशूल : मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 07 : 18
सूर्यास्त – सायं 05 : 28
विशेष – पूर्णिमा का दिन बहुत ही पुण्यदायक माना गया है। इस दिन मांस, अंडा, लहसुन, प्याज, आदि से दूरी बनाकर रखें। सुखी दाम्पत्य जीवन की लिए पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
पर्व त्यौहार- मार्ग शीर्ष माह की पूर्णिमा
आज का शुभ मुहूर्त : अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक। अमृत काल सुबह 08 बजकर 03 मिनट से 09 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 07 बजकर 13 मिनट से दोपहर 05 बजकर 33 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 09 बजकर 17 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक रहेगा इसके बाद रात 11 बजकर 02 मिनट से 11 बजकर 56 मिनट तक। वर्ज्य काल मध्यरात्रि 02 बजकर 26 मिनट से 04 बजकर 07 मिनट तक।
आज के उपाय : चमेली तेल में सिंदूर मिलकर हनुमानजी का लेपन करें और तिलक लगाएं।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।