शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश परीक्षा ना करवाने को लेकर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने स्वागत किया है।ABVP ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों से लूट और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लगाए हैं साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अध्ययन समेत सभी दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
शिमला में आज पत्रकार वार्ता के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री विशाल वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी को विश्वविद्यालय ने अवसर में बदलकर गैरकानूनी तरीके से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया और प्रवेश परीक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए एकत्रित तो किए लेकिन बाद में मेरिट के आधार पर दाखिला करवाया दिया गया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय महामारी की आड़ में आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश की जनता को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी फिर चाहे वह शिक्षक व गैर शिक्षक पदों की भर्ती के नाम पर 2000 की भारी - भरकम आवेदन शुल्क वसूलने की बात हो या फिर पंचायत सचिव भर्ती के नाम पर 12 सौ रुपए आवेदन शुल्क लेने की हो। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने यूजी के पूरे रिजल्ट घोषित किए बिना मेरिट के आधार पर दाखिला देने का फैसला लिया जो कि छात्रों के साथ भदा मजाक था।
इसके खिलाफ विद्यार्थी परिषद में विरोध प्रदर्शन किया और अब उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के मेरिट आधार पर प्रवेश के फैसले को गैर कानूनी करार दिया है जिसका विद्यार्थी परिषद स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिष्ठाता अध्ययन पूरी तरह से जिम्मेवार है और उन्हें तुरंत प्रभाव से पद से हटाने की मांग करती है और यदि पद से नही हटाया जाता है तो विद्यार्थी परिषद उग्र आंदोलन करेगी ।
विश्वविद्यालय द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पैड पर B.Ed की नोटिफिकेशन जारी करने की निंदा की और कहा कि विद्यार्थी परिषद ने नोटिफिकेशन को निकालकर अपना लोगो लगाया था लेकिन वही नोटिफिकेशन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने वेबसाइट पर कैसे लगा दी इसकी जांच होनी चाहिए।