हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं - 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
*योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
शनिवार का पंचांग
14 अगस्त 2021
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है । शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
*विक्रम संवत् 2078, * शक संवत – 1943, *कलि संवत 5123* अयन – दक्षिणायण, * ऋतु – वर्षा ऋतु, * मास – सावन माह, * पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन, ।
तिथि (Tithi)- षष्ठी – 11:50 तक तत्पश्चात सप्तमीतिथि का स्वामी – षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।
षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है।
दक्षिण भारत में इन्हे भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। यह दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के रक्षक देव भी माने जाते हैं।
भारत के आलावा विश्व के अन्य देशों जैसे श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी कार्तिकेय जी को इष्ट देव के रूप में स्वीकार किया गया है।
कार्तिकेय जी को युवा और बाल्य रूप में ही पूजा जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।
इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।
भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तो को बल और साहस की प्राप्ति होती है, विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।
षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है।
नक्षत्र (Nakshatra)- चित्रा – 06:56 तक तत्पश्चात स्वाती
नक्षत्र के स्वामी ( Nakshatra Ke Swami ) – चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा एवं स्वाती नक्षत्र के स्वामी समीर जी है।
चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है। यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है। चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।
चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग(Yog) – शुभ – 11:13 तकप्रथम करण : – तैतिल – 11:50 तकद्वितीय करण : – गर – 22:52 तक
गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
देवताओं की पानी है कृपा तो उन्हें चढ़ाएं ये पुष्य, जानिए किस देवी, देवता को कौन सा पुष्य चढ़ाना चाहिए।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 05:46
सूर्यास्त – सायं 18:05
विशेष – षष्ठी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए ।
आज का शुभ मुहूर्त 14 अगस्त 2021 :
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 48 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक। अमृत काल रात को 9 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 54 मिनट तक। रवि योग सुबह 5 बजकर 50 मिनट से 6 बजकर 56 मिनट तक। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 56 मिनट से अगले दिन सुबह 5 बजकर 4 मिनट तक। त्रिपुष्कर योग 15 अगस्त को 5 बजकर 44 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 23 मिनट से 5 बजकर 7 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 14 अगस्त 2021:
राहु काल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त सुबह 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक।
आज के उपाय : शनि स्त्रोत का पाठ करें, गायत्री मंत्र का जप करें ।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।