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पंचांग

रविवार का पंचांग : 10 अक्तूबर 2021; जानिए आज का शुभमुहूर्त..

October 10, 2021 10:00 PM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)2:- वार (Day)3:- नक्षत्र (Nakshatra)4:- योग (Yog)5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए रविवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

रविवार का पंचांग

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

*विक्रम संवत् 2078, * शक संवत – 1943, *कलि संवत 5123* अयन –दक्षिणायण, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – अश्विन माह* पक्ष –शुक्ल पक्ष* चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माँ स्कन्द माता का वाहन सिंह है।

स्कन्दमाता माता की गोद में भगवान कार्तिकेय जी बैठे होते हैं माता की पूजा करने से कार्तिकेय जी की पूजा अपने आप हो जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं।

माता की पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है, वंश वृद्धि होती है, कार्तिकेय जी की पूजा से कुंडली में मंगल भी मजबूत होता है।

मां स्कंदमाता को सुख शांति की देवी माना गया है, इनकी पूजा करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होते है, मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।।मां को केले का भोग अति प्रिय है। देवी स्कन्द माता को केले का भोग लगाने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।

तिथि (Tithi)- पञ्चमी – 26:14+ तक तत्पश्चात् षष्ठीपञ्चमी तिथि के स्वामी नाग देवता और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान शंकर के पुत्र भगवान कार्तिकेय जी है।

पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।

पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।

पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।

जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।

प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नामो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया, का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।

पंचमी को नागो के पौराणिक नाम अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।

पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।

नक्षत्र (Nakshatra)- – अनुराधा – 14:44 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र जी है । अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है । अनुराधा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 17 वां है। आकाश मंडल में अनुराधा 4 तारों का समूह मंडल है।बयह एक कमल का फूल जैसा लगता है जो हर परिस्तिथि में खिलने की क्षमता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और शक्ति का भी प्रतीक है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : मौलश्री तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। अनुराधा नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर शनि और मंगल दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

अनुराधा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग लाल और भूरा, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और गुरुवार माना जाता है ।

अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

योग (Yog) – आयुष्मान् – 15:04 तक तत्पश्चात सौभाग्यप्रथम करण : -बव – 15:32 तकद्वितीय करण : -बालव – 26:14+ तक

गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।

सूर्योदय – प्रातः 06:20

सूर्यास्त – सायं 17:55

विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है । रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । पंचमी को बिल्व का सेवन नही करना चाहिए ।

पर्व त्यौहार- नवरात्री का पाँचवा दिन

आज के शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर 2021 :

अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 04 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक। अमृत काल अगली सुबह 04 बजकर 47 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक। रवि योग दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से शाम 07 बजकर 54 मिनट तक।

आज के अशुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर 2021 :

राहुकाल शाम 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर 03 बजकर 30 मिनट से 04 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। वर्ज्य काल शाम 07 बजकर 55 मिनट से 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर 04 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

आज के उपाय : गाय को गुड़ खिलाएं, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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