राजधानी में रोजाना आवारा कुत्तों के काटने के मामले अस्पतालों में आ रहे हैं। लावारिस कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम प्रशासन की पोल खुल चुकी है। निगम प्रशासन लोगों को कुत्तों के आतंक से निजाद दिलाने के लिए बडे़-बडे़ दावे करता है। इसके बावजूद लोग लावारिस कुत्तों से परेशान हैं। बच्चों को स्कूल भेजने में अभिभावकों को ज्यादातर दिक्कत आ रही है। जैसे ही बच्चे रास्ते से अकेले गुजर रहे होते हैं, तो उन पर लावारिस कुत्ते हमला कर देते हैं। आजकल लोगों को रास्ते से गुजरते समय हाथ में डंडा लेकर जाना पड़ रहा है। कुत्तों को पकड़ने के लिए प्रशासन की भी पोल खुलती नजर आ रही है..
शिमलाः राजधानी शिमला में लावारिस कुत्तों का आतंक जारी है। शहर के विकासनगर में बुधवार को लावारिस कुत्ते ने सात साल की बच्ची पर हमला कर इसे लहूलुहान कर दिया। बच्ची की पीठ पर काटने के गहरे निशान हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार विकासनगर में पुलिस चौकी के पास पार्किंग का काम चल रहा है। इस काम में कई मजदूर लगे हैं। इनमें से एक मजदूर रूम बहादुर की यह बच्ची यहां अन्य बच्चों के साथ खेल रही थी। मजदूर काम में लगे थे कि अचानक एक लावारिस कुत्ते ने बच्ची पर हमला कर दिया। इसे पीठ से काट लिया। इसके चीखने की आवाज सुनकर मजदूरों ने कुत्ते को यहां से भगाया। बाद में बच्ची को विकासनगर स्वास्थ्य केंद्र में ले गए, जहां इसे प्राथमिक उपचार दिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता रमेश कौंडल ने बताया कि इस क्षेत्र में लावारिस कुत्तों का आतंक है। इसमें जिस कुत्ते ने बच्ची को काटा है, उसे लोग पागल बता रहे हैं। इसने पहले भी कई लोगों को काटा है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कई बार नगर निगम को कुत्तों के आतंक को लेकर शिकायतें दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
लोगों ने बच्ची के उपचार के लिए नगर निगम से मदद की मांग की है। नगर निगम के वेटनरी पब्लिक हेल्थ ऑफिसर डॉ. नीरज मोहन ने बताया कि उन्हें इसकी सूचना नहीं मिली है। लोगों को काट रहे कुत्ते को जल्द पकड़ा जाएगा।
नगर निगम की नाकामी
नगर निगम शिमला लावारिस कुत्तों को पकड़ने में नाकाम रहा है। असल में निगम की डॉग बैन एक जगह से कुत्तों को पकड़ती है और शहर के दूसरे कौने में छोड़कर आ जाती है। इसके बाद दोबारा कुत्ते शहर में आ जाते हैं। नगर निगम ने लाखों रुपये की लागत से डॉग हट बनाया था, लेकिन आज तक यहां पर कुत्ते रखे ही नहीं गए।