हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । रविवार का पंचांग
रविवार, 25 अक्तूबर , 2020
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
आज का राशिफ़ल : 25 अक्तूबर 2020; देखें विजयदशमी का दिन किन राशियों के लिए है खास, Click here
दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2077 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य
* शक संवत – 1942,
*कलि संवत 5122
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – आश्विन
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल –मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, मकर,
तिथि (Tithi)-नवमी 07:41 तक तत्पश्चात दशमी ।
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तिथि का स्वामी – नवमी तिथि के स्वामी दुर्गाजी, तथा दशमी के स्वामी यमराज जी है । दशहरा या ‘विजयादशमी’ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। दशहरे के दिन ही शारदीय नवरात्रि का समापन भी होता है।
आज के दिन भगवान श्री राम, देवी अपराजिता तथा शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।
नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा हैं।
नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और मनोहारी है, मां की चार भुजाएं हैं। मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख सुशोभित है। माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।
मां सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाया जाता है। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि की नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
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आज कन्या पूजन के साथ ही नवरात्री के नौ दिनों के ब्रत का समापन हो जायेगा, अगर कोई व्यक्ति नवरात्री का ब्रत ना भी रख पाए तो भी हर हिन्दू को यथासंभव नवरात्री में अपने घर पर कन्या पूजन अवश्य ही करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार घर पर कन्या पूजन से समस्त वास्तु, ग्रह जनित दोष समाप्त हो जाते है घर में सुख – शांति और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होगी है।
नक्षत्र (Nakshatra)- –धनिष्ठा -26 अक्टूबर 04:23 तक तत्पश्चात शतभिषा
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी है।
27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा नक्षत्र 23वां नक्षत्र है। ‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है ‘सबसे अधिक धनवान’। धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल और देवता वसु हैं। इस नक्षत्र के लोग समान्यता दुबले शरीर वाले ही होते हैं। वैदिक ज्योतिष में आठ वसुओं को इस नक्षत्र का अधिपति देवता माना गया है, वसु श्रेष्ठता, सुरक्षा, धन-धान्य आदि वस्तुओं के ही दूसरे नाम भी हैं।
धनिष्ठा नक्षत्र सितारा का लिंग महिला है। धनिष्ठा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: शमी, तथा स्वाभाव शुभ होता है ।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति अनेको गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सुख-समृद्धि, उच्च पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। ये लोग स्वभाव से संवेदनशील, दानी एवं अध्यात्मिक होते हैं। इस नक्षत्र के जातक दूसरों को कड़वे वचन नहीं बोलते है। यह अपने सम्बन्धो, कार्यो के प्रति ईमानदार होते हैं।
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धनिष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 9, भाग्यशाली रंग चमकीला स्लेटी, ग्रे, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और बुधवार होता है ।
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज “ॐ धनिष्ठायै नमः ” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
योग(Yog) – गण्ड – 17:13 तक
प्रथम करण : – कौलव – 07:41 तक
द्वितीय करण : – तैतिल – 20:16 तक
गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक
दिशाशूल - रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ।
राहुकाल : सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
सूर्योदय : प्रातः 06:28
सूर्यास्त : सायं 05 : 41
विशेष : रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।
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पर्व त्यौहार- नवरात्री की नवमी, विजयदशमी का पर्व, सर्वश्रेष्ठ, सर्व कार्य सिद्ध मुहूर्त
आज का शुभ मुहूर्तः अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक। अमृतकाल शाम को 5 बजकर 14 मिनट से 6 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। रवि योग पूरे दिन रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त 26 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 47 मिनट से 5 बजकर 38 मिनट तक।
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आज का अशुभ मुहूर्तः राहुकाल शाम को 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। यमगंड सुबह 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। दुर्मुहूर्त काल शाम को 4 बजकर 12 मिनट से 4 बजकर 57 मिनट तक।
आज के उपायः आज रविवार का दिन है। आपको साईं बाबा का ध्यान करना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
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